Relationship: यदि आपके वैवाहिक जीवन में तनाव, अलगाव या मानसिक पीड़ा बढ़ती जा रही है, तो जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर सही दिशा में समाधान ढूंढा जा सकता है. कैसे आइए जानते हैं-
क्यों बिगड़ता है वैवाहिक जीवन? क्या इसके पीछे ग्रहों से जुड़ा कोई गहरा रहस्य है?
विवाहित जीवन जितना मधुर होता है, उसमें कलेश आने पर उतना ही कष्टदायक भी बन जाता है. जीवनसाथी के साथ आपसी समझ, प्रेम और विश्वास को ग्रहों की स्थिति गहराई से प्रभावित करती है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पुरुषों के लिए शुक्र और महिलाओं के लिए बृहस्पति का विशेष महत्व होता है. यदि ये ग्रह दुर्बल या पीड़ित हों, तो वैवाहिक जीवन में मानसिक, भावनात्मक और व्यवहारिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
इन 10 ज्योतिषीय स्थितियों में बढ़ते हैं वैवाहिक जीवन में कलेश
1. सातवां भाव और शुभ ग्रहों की अनुपस्थिति
यदि कुंडली के सप्तम भाव में शुभ ग्रह (जैसे गुरु, शुक्र) नहीं हों, तो वैवाहिक जीवन में स्थिरता की कमी और विवाद बढ़ सकते हैं.
2. गुरु की राशि में स्थित मंगल
जब मंगल, वृहस्पति की राशि में बैठा हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो, तो वैचारिक असमानता से वैवाहिक जीवन में असंतुलन आ सकता है.
3. शुक्र के साथ सूर्य और चंद्रमा
यदि सप्तम भाव में शुक्र हो और वह सूर्य तथा चंद्रमा से घिरा हो, तो दांपत्य जीवन में मानसिक अशांति और असहमति बनी रहती है.
4. चंद्रमा सप्तम भाव में, स्वामी द्वादश में
जब चंद्रमा सप्तम भाव में, सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में और शुक्र कमजोर हो, तो वैवाहिक संबंधों में दूरी और असंतोष बढ़ता है.
5. पाप ग्रहों की उपस्थिति
पहला, चौथा, सातवां, आठवां और बारहवां भाव यदि पापी ग्रहों (शनि, राहु, केतु, मंगल) से पीड़ित हों, तो दांपत्य जीवन में निरंतर क्लेश बना रहता है.
6. मकर राशि का बृहस्पति सप्तम भाव में
यदि सप्तम भाव में मकर राशि का गुरु हो तो व्यक्ति को जीवनसाथी से अपेक्षित सुख नहीं मिलता और बार-बार झगड़े होते हैं.
7. सप्तम भाव का स्वामी छठे में या छठे का स्वामी सप्तम में
यह एक विपरीत राजयोग बनाता है, जो संबंधों में विरोध और वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न करता है. विशेषकर जब सप्तम भाव में वृश्चिक राशि का शुक्र हो.
8. मंगल-शनि युति के सामने शुक्र-चंद्रमा
यह योग व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ता है, जिससे संबंधों में अहं और तकरार आ जाती है.
9. मीन राशि में शनि और मंगल का होना
सप्तम भाव में मीन राशि में शनि और मंगल की युति वैवाहिक जीवन को भ्रम, असुरक्षा और क्लेश से भर देती है.
10. शनि, राहु, केतु, मंगल सप्तम में
यदि सप्तम भाव में ये चारों पाप ग्रह में से कोई भी दो ग्रह हों, तो विवाह में विश्वास और समर्पण की कमी बनी रहती है.
समाधान क्या है? शांति और सुख के लिए करें ये उपाय
कुंडली मिलान के समय सप्तम भाव और शुक्र/गुरु की स्थिति अवश्य देखें. वैवाहिक जीवन में क्लेश हो तो गुरुवार और शुक्रवार को व्रत रखें. मंगल दोष से ग्रस्त जातकों को हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए. वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में पति-पत्नी का कमरा रखें.
सप्तमे भार्याभावं सूते शुक्रो यदि शुभस्थितिः.
निस्त्रिंशं दुःखमाप्नोति पापयुक्ते विपर्ययः॥
अर्थात: सप्तम भाव में यदि शुक्र शुभ हो तो विवाह सुखी होता है, पापग्रह हों तो कष्ट मिलता है.