Baby Liver Disease Treatment: डॉक्टरों ने एक बार फिर दिखा दिया कि जब विज्ञान और करुणा एक साथ चलते हैं, तो चमत्कार भी हकीकत बन सकते हैं. अमेरिका में 9 महीने का मासूम बच्चा, जो एक बेहद दुर्लभ और जानलेवा लिवर बीमारी से जूझ रहा था, अब एक नई उम्मीद की मिसाल बन गया है. इसका इलाज किसी आम दवा या सर्जरी से नहीं, बल्कि CRISPR आधारित जीन-एडिटिंग तकनीक से हुआ है और वो भी बिलकुल उसके जेनेटिक म्यूटेशन के अनुसार पर्सनलाइज्ड तरीके से. यह पहली बार है जब किसी इंसान का इलाज इस तरह किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
अमेरिका के चिल्ड्रन हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया और पेन मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने मिलकर केजी मलडून नाम के एक 9 महीने के बच्चे का इलाज सफलतापूर्वक किया है. यह बच्चा कार्बामॉयल फॉस्फेट सिंथेटेस की कमी और लिवर की दिक्कत से पीड़ित था, जिसमें शरीर प्रोटीन मेटाबॉलिज्म के बाद बनने वाले टॉक्सिन्स को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है. इस बीमारी के कारण नवजात को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती थीं. लेकिन इस बार विज्ञान ने नया रास्ता खोल दिया है।
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कैसे हुआ CRISPR तकनीक से इलाज?
CRISPR (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) एक जीन-संपादन तकनीक है, जिससे डीएनए को बेहद सटीकता से बदला जा सकता है.
केजी के इलाज में बेस एडिटिंग नामक तकनीक का उपयोग किया गया, जिसमें डीएनए की एक “अक्षर” को बदला गया, वो भी बिना डीएनए स्ट्रैंड को काटे.
यह तकनीक खासतौर पर “वन-ऑफ” जेनेटिक म्यूटेशन के लिए उपयोगी है, जो बेहद दुर्लभ होते हैं और जिनका कोई पहले से इलाज मौजूद नहीं होता.
सबसे खास बात यह रही कि इलाज को केवल छह महीने में पूरा कर दिया गया है.
इस उपलब्धि का महत्व क्या है?
पहली बार किसी व्यक्ति के अनुकूल जीन एडिटिंग थेरेपी को क्लीनिकली इस्तेमाल किया गया है.
इससे भविष्य में अन्य दुर्लभ बीमारियों का इलाज भी इसी प्रकार किया जा सकता है.
यह थेरेपी लंबे समय तक चलने वाली दवाओं या जटिल ट्रांसप्लांट जैसी प्रक्रियाओं की आवश्यकता को कम कर सकती है.
इससे दुनिया भर के वैज्ञानिकों को एक ब्लूप्रिंट मिलेगा, जिससे वे ऐसी बीमारियों का इलाज विकसित कर सकेंगे.
केजी की कहानी केवल एक बच्चे की जिंदगी बचाने तक सीमित नहीं है, यह विज्ञान के नए युग की शुरुआत है. जहां बीमारियों के इलाज ‘सभी के लिए एक जैसा’ नहीं, बल्कि व्यक्ति विशेष की जरूरतों के अनुसार बनाया जाएगा. CRISPR तकनीक ने यह साबित कर दिया है कि अगर तकनीक का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो असंभव भी संभव हो सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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