CBI ने इंटरपोल के जरिए जारी करवाया पहला सिल्वर नोटिस, वीजा फ्रॉड और संपत्ति से जुड़ा है केस


Interpol Silver Notice CBI: CBI ने इंटरपोल के नए प्लेटफॉर्म सिल्वर नोटिस के जरिए भारत का पहला केस इंटरपोल में दर्ज करवाया है. सिल्वर नोटिस एक इंटरनेशनल अलर्ट सिस्टम है. जिससे अलग-अलग देशों की एजेंसियां अपराधियों की संपत्तियों के बारे में जानकारी शेयर कर सकती है. इसका मकसद है दुनियाभर में अपराधियों की छुपाई गई प्रॉपर्टीज, बैंक अकाउंट्स, गाड़ियां और बिजनेस को पहचानना और उन पर कार्रवाई करना है.

सिल्वर नोटिस अभी एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 51 देशों में चलाया जा रहा है. जो नवंबर 2025 तक जारी रहेगा. इस दौरान हर देश 9 सिल्वर नोटिस जारी कर सकता है. भारत की ओर से CBI, ED और NCB ने कुछ केस इंटरपोल को भेजे है.

वीजा फ्रॉड और दुबई में संपत्ति से जुड़ा है पहला केस

भारत का पहला केस, शौकीन शुभम का वीजा फ्रॉड और दुबई में संपत्ति से जुड़ा है. CBI ने 23 मई 2025 को भारत का पहला सिल्वर नोटिस शौकीन शुभम के खिलाफ इंटरपोल के जरिए जारी करवाया. शुभम पहले एक विदेशी दूतावास में वीजा ऑफिसर था और उसने सितंबर 2019 से मई 2022 के बीच वीजा फ्रॉड किया. वो वीजा दिलाने के बदले हर अप्लिकेंट से 15 लाख से 45 लाख रुपये तक की रिश्वत लेता था. इस पैसे से उसने दुबई में करीब 15.73 करोड़ रुपये की 6 प्रॉपर्टी खरीदी. इससे पहले CBI ने उसके लिए ब्लू नोटिस भी जारी करवाया था ताकि उसे ढूंढा जा सके.

क्रिप्टो कैरेंसी घोटाले से जुड़ा है दूसरा मामला

भारत का दूसरा केस अमित मदनलाल लखनपाल के फर्जी क्रिप्टो करेंसी घोटाला से जुड़ा है. CBI ने 26 मई 2025 को एक और सिल्वर नोटिस जारी करवाया है, जो ED की रिक्वेस्ट पर किया गया. ये नोटिस अमित मदनलाल लखनपाल के खिलाफ है. जिसने MTC नाम की फर्जी क्रिप्टो करेंसी लॉन्च की थी. उसने लोगों से करीब 113 करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट ली. लेकिन ये करेंसी भारत में मान्य नहीं है और उसने इसके लिए सरकार या RBI से कोई परमिशन भी नहीं ली थी. बाद में वो सारा पैसा लेकर भाग गया और खुद को वित्त मंत्रालय का रिप्रेजेंटेटिव बताकर लोगों को धोखा दिया. उसके खिलाफ पहले ही रेड नोटिस जारी हो चुका है.

इंटरपोल अलर्ट है सिल्वर नोटिस

CBI के मुताबिक सिल्वर नोटिस से इन मामलों में छुपाई गई संपत्ति को ढूंढना, जब्त करना और वापस लाना आसान हो जाएगा.

उल्लेखनीय है कि सिल्वर नोटिस एक इंटरपोल अलर्ट है, जो खासकर अपराध से जुड़ी संपत्तियों की जानकारी जुटाने और शेयर करने के लिए बनाया गया है. इसमें दूसरे देश अपराधियों की संपत्ति से जुड़ी जानकारी मांग सकते हैं, जैसे फ्लैट, बंगला, कार, बैंक अकाउंट, शेयर और बिजनेस. बाद में इस जानकारी के आधार पर संपत्ति की सीजिंग या जब्ती की प्रोसेस शुरू की जा सकती है.

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