भारतीय सेना में भर्ती होने का सपना कई जवानों का होता है. इसी में कई जवानों का सपना स्पेशल फोर्सेस यानी पैरा कमांडो में जाने का सपना भी होता है. पैरा कमांडो भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट की स्पेशल फोर्स यूनिट है. इनका काम देश के दुश्मनों के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन करना है. इनका चयन इंडियन आर्मी के जरिये होता है. इनको विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है. इसमें शामिल होने का सपना केवल पुरुषों का नहीं बल्कि महिलाओं भी होता है.
पायल छाबड़ा हैं पहली महिला पैरा कमांडो
हरियाणा के कैथल की रहने वाली मेजर पायल छाबड़ा ने पैरा कमांडो बनकर इतिहास रचा है. उनके पास एमबीबीएस और एमएस सर्जरी की डिग्री है. इन्होंने मैरून बेरेट भी प्राप्त किया. 2020 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह हरियाणा के करनाल में कल्पना चावला सरकारी मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में सीनियर डॉक्टर बन गईं. इसके अलावा उन्होंने सेना में सर्जन पद पर रहते हुए पैरा कमांडो बनने की परीक्षा पास की.
ऐसा करने वाली वह पहली महिला बन गई हैं. वह देश के दुर्गम इलाके केंद्र शासित लद्दाख के लेह स्थित आर्मी हॉस्पिटल में बतौर विशेषज्ञ सर्जन अपनी सेवाएं दे रही हैं. इससे पहले वह दुनिया के दूसरे सबसे ऊंचे खरदूंगला मोटर बाईपास में आर्मी हॉस्पिटल में भी सेवा कर चुकी हैं.
परीक्षा पास करने के बाद पायल मे बताया कि उनके लिए यह सफर आसान नहीं था. इन्होंने कमांडो बनने के लिए आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण लिया. उन्होंने बताया कि उनकी ट्रेनिंग हर दिन सुबह तीन से चार बजे के बीच शुरू हो जाती थी. उन्हें 25 किलो वजन के साथ 40 किलोमीटर दौड़ना होता था. साथ में कई कठिन टास्क पूरे करने होते थे. पायल को देश सेवा का ऐसा जुनून है कि उन्होंने सीनियर डॉक्टर के बावजूद भी पैरा कमांडो बनने की परीक्षा पास की है. 2021 में मेजर पायल छाबड़ा को आर्मी अस्पताल अंबाला कैंट में कैप्टन के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी.
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