Human Immortality Prdiction: अमृत की मदद से पौराणिक कथाओं में तो कभी साइंस फिक्शन फिल्मों में तकनीकी अमरता के सपने के रूप में इंसान के अमर होने की कहानी सुनी है या देखी है. हालांकि, अब यह कल्पना हकीकत में बदलने की ओर बढ़ रही है. इस संभावना को Google के पूर्व इंजीनियर रे कुर्जवील ने बल दिया है. ये दुनिया के अग्रणी भविष्य वैज्ञानिक है, जिन्होंने दावा किया है कि 2030 तक इंसान जैविक रूप से अमर हो सकता है.
रे कुर्जवील सिर्फ एक तकनीकी विशेषज्ञ नहीं, बल्कि एक प्रामाणिक भविष्यवक्ता माने जाते हैं. उनके अब तक किए गए 147 में से 86% से अधिक पूर्वानुमान सही साबित हुए हैं, जिनमें इंटरनेट, AI, बायोटेक्नोलॉजी और कंप्यूटर-बायोलॉजी इंटीग्रेशन जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन शामिल हैं. 1999 में उन्हें अमेरिका के सर्वोच्च तकनीकी पुरस्कार ‘नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी’ से भी नवाजा गया था. उनका कहा अब सिर्फ विज्ञान कहानी नहीं, बल्कि तकनीकी रोडमैप माना जाता है.
कैसे होगी अमरता संभव?
कुर्जवील के अनुसार आने वाले वर्षों में हमारे शरीर में नैनोबॉट्स (सूक्ष्म रोबोट) डाले जाएंगे. ये नैनोबॉट्स रक्त प्रवाह में लगातार तैरते रहेंगे और टूटी हुई कोशिकाओं की मरम्मत करेंगे. बीमारियों को शुरुआती स्तर पर पहचान कर ठीक करेंगे और बुढ़ापे की प्रक्रिया को उलट देंगे. इन बॉट्स का मकसद केवल उपचार नहीं, बल्कि शरीर की सतत निगरानी और पुनर्निर्माण होगा, जिससे शरीर हमेशा युवा और स्वस्थ बना रह सकेगा.
जब इंसान और AI बन जाएंगे एक
कुर्जवील यह भी कहते हैं कि 2029 तक मशीनें मानव जैसी बुद्धि प्राप्त कर लेंगी और ट्यूरिंग टेस्ट पास कर जाएंगी. इसका अर्थ है कि मशीनें इंसानों जैसे व्यवहार करेंगी. इतनी कि पहचानना मुश्किल होगा कि कौन मशीन है और कौन मनुष्य. भविष्य में इंसानी मस्तिष्क और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मेल होगा, जिससे, हमारी याददाश्त बढ़ेगी. निर्णय लेने की शक्ति अकल्पनीय होगी और हमारा दिमाग क्लाउड में अपलोड किया जा सकेगा. यह परिवर्तन “साइबॉर्ग युग” की शुरुआत करेगा, जहां इंसान और मशीन के बीच की सीमाएं खत्म हो जाएंगी.
क्या है सिंग्युलैरिटी और क्यों है यह क्रांतिकारी?
रे कुर्जवील की अमरता से जुड़ी भविष्यवाणी “सिंग्युलैरिटी” के सिद्धांत से जुड़ी है. Singularity वह पल है जब टेक्नोलॉजी इतनी डेवलप हो जाएगी कि वह मानव सभ्यता की पूरी प्रकृति को बदल देगी. कुर्जवील के अनुसार 2045 तक सिंग्युलैरिटी आ जाएगी. इंसानों की बुद्धि अरबों गुना बढ़ जाएगी. चेतना शरीर से बाहर निकलकर डिजिटल रूप में बदल जाएगी.
क्या यह भविष्य डरावना है या रोमांचक?
AI पहले ही अपनी शक्ति दिखा चुका है — जैसे 2023 में GPT-4 और Bing AI जैसे चैटबॉट्स ने न केवल संवाद की परिभाषा बदली, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि यदि AI खुद सीख सकता है तो वह किस हद तक विकसित हो सकता है? रे कुर्जवील का मानना है कि यह सिर्फ साइंस फिक्शन नहीं, बल्कि विकास की स्वाभाविक दिशा है.