China Government: चीन, जो कभी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था. अब आर्थिक सुस्ती और बजट दबाव से जूझ रहा है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देशभर के सरकारी अधिकारियों को यात्रा, भोजन और दफ्तर खर्चों में कटौती करने का स्पष्ट आदेश दिया है. यह कदम न केवल सरकारी खर्चों में अनुशासन लाने का संकेत है, बल्कि चीन की आंतरिक आर्थिक परेशानियों की भी झलक देता है. सरकार के फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों को शराब, सिगरेट तक के खर्च को लेकर सोचना पड़ेगा. चीन वही देश है, जो पाकिस्तान की जेब भरने का काम करता है. आज हालत ये हो गई है कि उसे खुद के खर्चों पर लगाम लगानी की जरूरी पड़ गई है.
शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश स्पष्ट रूप से इस बात का प्रमाण है कि शी जिनपिंग प्रशासन अब फिजूलखर्ची के खिलाफ निर्णायक रवैया अपनाने को मजबूर है. चीन के इकोनॉमिक सिस्टम में स्थानीय सरकारें बड़े पैमाने पर जमीन खरीद-बिक्री से राजस्व अर्जित करती थीं, लेकिन हालिया वर्षों में जमीन की बिक्री में भारी गिरावट आई है, जिससे बजट घाटा बढ़ा है और कर्ज का बोझ चरम पर पहुंच गया है. इस कारण से 2023 के अंत में शी जिनपिंग ने स्पष्ट संदेश दिया था कि ‘बेल्ट-टाइट करने’ की आदत डालनी होगी, यानी हर स्तर पर खर्चों को नियंत्रित करना होगा. अब 2025 में इस नीति को जमीन पर लागू किया जा रहा है.
शेयर बाजार पर पड़ा असर
सरकारी खर्चों में कटौती के फैसले का असर सीधे चीनी शेयर बाजार पर भी दिखा. कंज्यूमर स्टेपल्स स्टॉक इंडेक्स में 1.4% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि प्रीमियम शराब बनाने वाली Kweichow Moutai कंपनी का शेयर 2.2% नीचे आ गया-जो छह हफ्तों में सबसे बड़ी गिरावट है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट बताती है कि सरकारी संस्थानों की तरफ से उपभोग घटने की आशंका से बाजार असहज हुआ है.
भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची पर सख्त निगरानी
शी जिनपिंग ने पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को तीव्र कर दिया है, जिससे सैकड़ों अधिकारियों को दंडित किया गया. अब फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने के प्रयासों के तहत नियंत्रण तंत्र को और सख्त किया जा रहा है. बीजिंग प्रशासन ने स्थानीय सरकारों से कहा है कि वे बजट की समीक्षा, कर्ज जोखिम का प्रबंधन, और उपयोगिता खर्चों में कटौती को अपनी प्राथमिकता बनाएं.