भारत का स्मार्टफोन बाजार अब पहले जितना जोश में नहीं दिख रहा. साल 2025 की पहली तिमाही में इस सेक्टर में लगभग 5.5% की गिरावट दर्ज की गई है. इस दौरान कुल 3.2 करोड़ स्मार्टफोन शिप किए गए, जो पिछले साल के तुलना में काफी कम है. हालांकि ऐसे समय में जब ज्यादातर स्मार्टफोन कंपनियों की बिक्री गिर रही है, Apple ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया है.
एप्पल की जबरदस्त बढ़त
जहां कई कंपनियां बाजार में टिके रहने के लिए संघर्ष कर रही हैं, वहीं Apple की बिक्री में 23% की बढ़ोतरी देखी गई है.IDC की नई रिपोर्ट बताती है कि एप्पल कंपनी की यह ग्रोथ उसे भारत के टॉप 5 स्मार्टफोन ब्रैंड्स में शामिल कर चुकी है. जो संकेत है कि अब देश में काफी सारे लोग प्रीमियम और भरोसेमंद डिवाइसेस की ओर झुकाव दिखा रहे हैं.
शाओमी और पोको की गिरती पकड़
कभी भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में दबदबा रखने वाला चाइनीज ब्रैंड शाओमी अब टॉप 5 की लिस्ट से बाहर हो गया है. बीते कुछ महीनों में इसकी बिक्री में लगातार गिरावट देखने को मिली है. शाओमी का सब-ब्रैंड पोको भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया है. ये दोनों ब्रैंड अब टॉप 10 की लिस्ट में नीचे खिसक चुके हैं.
रियलमी की वापसी
वहीं दूसरी ओर, रियलमी ने मौके का फायदा उठाते हुए टॉप 5 में जगह बना ली है। कम कीमत में अच्छे फीचर्स देने की वजह से यह ब्रैंड मिड-रेंज खरीदारों के बीच काफी पॉपुलर हो रहा है। खासकर Realme 14, Narzo 80 और P3 सीरीज को लोगों ने हाथोंहाथ लिया .
क्यों आई बाजार में गिरावट?
इस बार स्मार्टफोन की बिक्री में आई गिरावट की कई वजहें हैं। एक तो अब लोग अपने फोन को पहले से ज्यादा लंबे समय तक इस्तेमाल कर रहे हैं. दूसरा, नई टेक्नोलॉजी में कोई बड़ा बदलाव न होने के कारण अपग्रेड की जरूरत महसूस नहीं हो रही. ऊपर से महंगाई और बजट का दबाव भी यूजर्स को नए फोन लेने से रोक रहा है.
कौन-कौन हैं टॉप 10 में?
टॉप 5 की लिस्ट से बाहर होने के बाद शाओमी अब छठे नंबर पर आ चुका है. उसके बाद मोटोरोला और पोको जैसे ब्रैंड्स का नंबर आता है. वनप्लस इस समय नौंवे पायदान पर है। टॉप 5 की बात करें तो इसमें अब Samsung, Apple, Vivo, Oppo और Realme जैसी कंपनियां मौजूद हैं.
जहां एक तरफ कुछ पुरानी दिग्गज कंपनियां अपनी पकड़ खोती जा रही हैं, वहीं Apple जैसे प्रीमियम ब्रैंड्स तेजी से भारतीय बाजार में जगह बना रहे हैं. इससे यह साफ है कि अब देश के यूजर्स सिर्फ बजट नहीं, बल्कि क्वालिटी, ब्रांड वैल्यू और भरोसे को भी प्राथमिकता देने लगे हैं.