Chaitra Navratri 2025: हिंदुओं में सावन, बड़े प्रमुख त्योहार और तमाम व्रत के दौरान भोजन के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है. खासकर नवरात्रि के व्रत में नमक को हाथ तक नहीं लगाया जाता है और अन्न भी नहीं खाया जाता है.
यही नहीं नौ दिन तक वो सिर्फ सात्विक भोजन खाते हैं. ऐसे में नवरात्रि के दौरान क्या नॉनवेज खाना पाप के समान समझा जाता है. आखिर क्यों नवरात्रि में मांसाहार से परहेज रखने को कहा गया है
नवरात्रि में नॉनवेज खाना पाप है ?
नवरात्रि के दिन 9 बेहद पवित्र होते हैं. इस दौरान शुद्धता और पवित्रता का खास ख्याल रखा जाता है. ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो जब व्यक्ति की इंद्रियां काबू में होती हैं तब वह ईश्वर से संपर्क साधने में कामयाब होता है, पूजा-पाठ से उसका मन नहीं भटकता है. ऐसे में नवरात्रि के दौरान संतुलित भोजन न किया जाए तो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं रख पाता और पूजन में अवरोध पैदा होने लगते हैं.
आयुर्वेद और ज्योतिष के अनुसार तामसिक भोजन यानी नॉनवेज व्यक्ति के अंदर क्रोध, अहंकार, आलस, ललसा की भावना पैदा करता है. यही वजह है कि नवरात्रि के दौरान हिंदू धर्म में नॉनवेज खाना पाप माना गया है. इससे व्यक्ति आध्यात्म से भटक जाता है.
नवरात्रि में बंगाल में नॉनवेज खाने की प्रथा
भारत में कई ऐसे समुदाय हैं जहां पूजा के बकरे की बलि के बाद प्राप्त मांस को प्रसाद माना जाता है. जैसे शारदीय नवरात्रि के समय बंगाली समुदाय में मांसाहार खाने का चलन है. उनका मानना है कि शरदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा के दौरान देवी मां खुद अपने बच्चों के साथ उनके घर में रहने आती है और उनके घर पर ही उनके साथ कुछ दिन गुजारती है. इस कारण ही बंगाली मां के लिए वह सारे पकवान बनाते हैं जो वे खुद भी खाते हैं. इनमें मिठाईयों से लेकर मांस-मछली तक शामिल होते हैं.
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