<p style="text-align: justify;"><strong>USA News:</strong> राष्ट्रपति बनने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप कई विवादित फैसले ले चुके हैं. हालांकि उनके कई फैसलों पर कोर्ट ने रोक भी लगाई थी. इसी कड़ी में ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर समुदाय की भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि मंगलवार (18 मार्च) को एक फेडरल जज ने समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के इस प्रतिबंध पर रोक लगा दी, जिससे यह आदेश सस्पेंड हो गया.</p>
<p style="text-align: justify;">जज ने अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा का संदर्भ देते हुए राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा जनवरी के अंत में दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है. इसमें कहा गया है कि सभी इंसान समान बनाए गए हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कोर्ट ने कही ये बात</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यूएस डिस्ट्रिक्ट जज एना रेयेस ने मंगलवार को टैलबोट बनाम ट्रंप मामले में अपना फैसला सुनाया. इस दौरान जज ने कहा कि सरकार की यह नीतिट्रांसजेंडर समुदाय के सेवा सदस्यों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. कोर्ट ने कहा कि सरकार यह साबित करने में सफल नहीं रही है कि इस तरह का प्रतिबंध लगाने से कोई वैध सैन्य उद्देश्य पूरा होता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ट्रंप ने क्यों लिया था ये फैसला</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एडवोकेट की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला GLAD लॉ और नेशनल सेंटर फॉर लेस्बियन राइट्स द्वारा 20 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की ओर से कोर्ट में लाया गया था. ये 20 लोग या तो पहले से मिलिट्री में सेवा दे रहे थे या उसमें शामिल होने की तैयारी कर रहे थे. कोर्ट का यह फैसला ट्रांसजेंडर सैनिकों को मिलिट्री से हटाने के ट्रंप प्रशासन के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ.</p>
<p style="text-align: justify;">ट्रंप प्रशासन ने यह तर्क दिया था कि यह प्रतिबंध सेना की तैयारी, यूनिट के बीच एकजुटता और लागत में कमी के लिए आवश्यक था. हालांकि जज एना रेयेस ने इस तर्क को पूरी तरह से खारिज कर दिया.</p>
<p style="text-align: justify;">2016 में, रक्षा विभाग की नीति ने ट्रांसजेंडर सैनिकों को खुलकर सेवा करने की अनुमति दी. हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने ट्रांसजेंडर सैनिकों पर प्रतिबंध लागू किया, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी. बाद में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पदभार संभालने के बाद इस प्रतिबंध को समाप्त कर दिया.</p>
