Who is Rajni Srinivasan: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने वाले विदेशियों को निर्वासित करने के अभियान को और तेज कर दिया है. यही कारण है कि अमेरिकी सुरक्षा विभाग लगातार उन विदेशी लोगों और छात्रों का वीजा रद्द कर रहा है, जो हमास के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन इन सब में भारतीय छात्रा रजनी श्रीनिवासन क्यों चर्चा में हैं आइए जानते हैं.
होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने बताया है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक भारतीय छात्रा रजनी श्रीनिवासन का 5 मार्च, 2025 को वीजा रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद छात्रा ने 11 मार्च, 2025 को CBP HOME APP का इस्तेमाल कर खुद को सेल्फ डिपोर्ट किया. विभाग ने बताया कि रजनी एफ 1 स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका आई थीं, लेकिन वह हमास का समर्थन करने वाले प्रदर्शनों में शामिल थीं.
हमास समर्थन की गतिविधियों में थीं शामिल!
DHS के मुताबिक, वह हमास का समर्थन करने वाली गतिविधियों में शामिल थीं. हालांकि, अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि उनके पास इसके क्या सबूत हैं कि रजनी इन प्रदर्शनों में शामिल थीं. रजनी के डिपोर्ट करने के बाद विभाग ने उनका एक वीडियो जारी किया है, जिसमें वह अपने बैग लेकर जाती दिख रही हैं.
It is a privilege to be granted a visa to live & study in the United States of America.
When you advocate for violence and terrorism that privilege should be revoked and you should not be in this country.
I’m glad to see one of the Columbia University terrorist sympathizers… pic.twitter.com/jR2uVVKGCM
— Secretary Kristi Noem (@Sec_Noem) March 14, 2025
क्या था मामला?
फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने वाले विदेशियों को निर्वासित करने के अभियान के चलते अमेरिकी न्याय विभाग इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने अपने कैंपस में अवैध विदेशियों को छुपाया है. इसी बीच यूनिवर्सिटी से बीते शनिवार (8 मार्च, 2025) को महमूद खलील को गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद से यूनिवर्सिटी काफी दबाव में है. महमूद खलील वही शख्स है, जो पिछले साल हमास पर हुए हमले के विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाला एक फिलिस्तीनी नागरिक है.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के लिए 400 मिलियन डॉलर रद्द
इन्हीं विवादों की वजह से अमेरिकी सरकार ने यूनिवर्सिटी को दिए जाने वाले 400 मिलियन अमरीकी डालर को रद्द कर दिया हैं, जिनमें से ज्यादातर पैसा चिकित्सा अनुसंधान के लिए इस्तेमाल किया जाना था. हमास के समर्थन करने वालें छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए ये अमेरिकी सरकार की ओर से एक तरह की सजा के रूप में हैं.
यहूदी विरोधी भावना को खत्म कर रहा ट्रंप प्रशासन
इस मामले पर DHS में बोलते हुए डिप्टी अटॉर्नी जनरल टॉड ब्लैंच ने कहा कि यह सब राष्ट्रपति ट्रंप के इस देश में यहूदी विरोधी भावना को समाप्त करने के मिशन का हिस्सा था.
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