Karj Ke Upay: कर्ज के तले दबा हुआ व्यक्ति कभी चैन की नींद नहीं सो पता है. ज्योतिष में कर्ज से संबंधित अनेक प्रकार के योग और सूत्र ऋषि मुनियों के द्वारा लिखे गए हैं, जिनका प्रभाव पड़ने से व्यक्ति के जीवन में कर्ज लेने की नौबत आ जाती है. कुछ लोग तो कर्ज चुका देते हैं लेकिन कुछ लोग कर्ज नहीं चुका पाते हैं और आत्महत्या तक कर लेते हैं.
ज्योतिष के पूर्व जन्म वाले सूत्रों के अनुसार जो व्यक्ति पूर्व जन्म में दूसरों का धन हड़प कर लेता है, अगले जन्म में वह व्यक्ति ऋणी बनता है. उसकी कुंडली में ईश्वर नियति के माध्यम से ऋण के योगों को स्थापित कर देता है. वह व्यक्ति आजीवन रन से ग्रसित रहता है तथा दूसरों का ऋण देने में ही जीवन बिताता है.
कैसे बनता है कुंडली कर्ज का योग –
जन्म कुंडली में छठा भाव कर्ज से संबंधित माना जाता है तथा द्वितीय भाव धन संचय का, एकादश भाव कमाई का और द्वादश भाव खर्च का माना जाता है. जब कभी कुंडली के द्वितीय भाव पर नकारात्मक प्रभाव होता है कोई नीच ग्रह द्वितीय भाव में हो तथा द्वितीय भाव का स्वामी पीड़ित अथवा किसी खराब स्थिति में हो तो धन हानि बहुत अधिक मात्रा में होती है. यदि द्वितीय भाव पर छठे भाव के स्वामी का प्रभाव पड़े तो कर्ज लेने का योग बनता है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति के पास धन संचय नहीं हो पाता है और कर्ज के सहारे अपने कार्यों को करना पड़ता है.
यदि छठे भाव का स्वामी द्वितीय भाव में हो या द्वितीय भाव के स्वामी के साथ हो अथवा द्वितीय भाव का स्वामी छठे भाव में हो तो ऋण लेने का प्रबल योग बनता है. जब व्यय भाव अर्थात द्वादश भाव और छठे भाव का स्वामी द्वितीय भाव के स्वामी के साथ हो अथवा द्वितीय भाव में हो और किसी भी शुभ ग्रह का द्वितीय भाव पर कोई प्रभाव ना हो तो ऋण लेने की नौबत बार-बार आती रहती है तथा अत्यधिक धन भी खर्च होता रहता है.
ऐसी स्थिति में व्यक्ति कई बार अपने कार्यों को पूरा करने के लिए ऋण लेता है लेकिन इस धन का उपयोग करने से पहले ही बीमारी अथवा किसी अन्य फ्रॉड आदि में धन बर्बाद हो जाता है. यह परिस्थितियों जीवन को अत्यधिक दुष्कर स्थिति में डाल देती हैं.
कर्ज मुक्ति के उपाय (Karj Mukti Ke Upay)–
ऋण का सर्वोत्तम उपाय गजेन्द्रमोक्ष का पाठ है. ऋषि मुनियों ने इस स्थिति से निकलने के लिए ग्रहों से संबंधित उपाय तो बताए ही हैं, लेकिन इसके साथ साथ स्तुति स्तोत्र आदि भी बताए हैं, जिसमें गजेंद्र मोक्ष सबसे अच्छा और प्रभावकारी स्तोत्र माना गया है. श्रीमद्भागवत महापुराण में इस स्तोत्र का वर्णन आता है. जब गजेंद्र हाथी को मगरमच्छ ने पैर से पकड़कर ग्रसना शुरू कर लिया था तो गजेंद्र ने भगवान विष्णु की स्तुति की थी. इसके बाद भगवान विष्णु जी ने मगरमच्छ के मुंह को अपने सुदर्शन चक्र से क्या डाला और गजेंद्र को पानी से निकाल दिया.
गजेंद्र हाथी की वह स्तुति अपने आप में एक भक्ति में स्तुति भी है जिसको यदि कोई व्यक्ति रोज सुबह शाम पड़े तो उसके जीवन से कई संकट होता है समाप्त होने लगते हैं. मन में यदि यह भाव रखा जाए कि जिस प्रकार गजेंद्र को मगरमच्छ के चंगुल से छुड़ा दिया था, इस प्रकार भगवान विष्णु मुझे भी इस कर्ज के चंगुल से छुड़ा दीजिए. तो इस प्रकार का भाव रखने से यह स्तोत्र कर्ज से संबंधित परेशानियों का निदान करता है. इसके अलावा कोर्ट कचहरी के मामलों में भी यह स्तोत्र बहुत अधिक प्रभावशाली देखा गया है.
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