देश में शिक्षा में सुधार और समग्र विकास के लिए बड़े कदम उठाए गए केंद्र सरकार ने 100 नए सैनिकों के लिए स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को केरल के अलप्पुझा में विद्याधिराज सोल्जर्स स्कूल के 47वें वार्षिक दिवस समारोह के दौरान इस योजना की घोषणा की। उन्होंने भारत के शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लाने और बच्चों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताई। सरकार का यह कदम स्तर के क्षेत्र में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा समिति और हर वर्ग के बच्चों, सैनिकों, सैनिकों के माध्यम से बेहतर अवसर प्रदान करने का लक्ष्य है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को देश भर में 100 नए सैनिकों के लिए स्कूल स्थापित करने की केंद्र सरकार की शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया। यह कदम देश में शिक्षण शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने और संपूर्ण विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है। केरल के अलपुझा में विद्याधिराज सैनिक स्कूल के 47वें वार्षिक दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इन सैनिकों की स्थापना से शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद है।
शिक्षा में क्रांति और आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य
रक्षा मंत्री ने यह भी घोषणा की कि अब सैनिकों में लड़कियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस समाज में लैंगिक समानता को बल की आवश्यकता होती है और अधिक से अधिक ज़ायकेदार इन मिशिगन में शिक्षा प्राप्त कर सहायकगी। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य देश के हर जिले में सैनिक स्कूल की स्थापना करना है, जिससे गरीबों और विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा का अवसर मिल सके।
बच्चों में सैनिकों के गुण विकसित करने पर जोर
राजनाथ सिंह ने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ रही है और ऐसे में स्वास्थ्य, उद्योग, रक्षा और संचार के साथ-साथ शिक्षा में भी सुधार जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास और शिक्षा क्षेत्र में क्रांति की जरूरत है, ताकि वे देश के भविष्य के लिए बेहतर योगदान दे सकें।
ऐतिहासिक परंपरा का उदाहरण
रक्षा मंत्री ने सैनिकों के निर्देश, गुण और आत्म-नियंत्रण जैसे गुणों की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों में इन गुणों का विकास महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद, आदि पूर्वजों और राजा रवि वर्मा जैसे महान विरासत का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक सुधारों के योगदान को एक प्रकार के ‘युद्ध क्षेत्र’ के रूप में भी देखा जा सकता है।
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