डोनाल्ड ट्रंप लेंगे अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ, व्हाइट हाउस से क्या लेंगे बड़े फैसले?


डोनाल्ड ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह: डोनाल्ड वॉल्ट दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर आधिकारिक तौर पर शपथ ली गई। यूक्रेन डीसी में कैपिटल बिल्डिंग में साहिल का शपथ ग्रहण समारोह होगा। सिद्धांत के साथ जेडी वांस ने आधिकारिक तौर पर शपथ ली।

अमेरिका के प्रमुख जस्टिस सौम्या को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे। अमेरिका के समय दोपहर 12 बजे अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण समारोह होगा, यानी भारत के समय दोपहर 10:30 बजे अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण होगी। डोनाल्ड यूनिवर्सल इस वक्त ऑर्केस्ट्रा डीसी रीच पर आधारित हैं, जहां कैपिटल वन एरिना में वो एक रैली को भी बताएंगे।

अंतिम शपथ ग्रहण समारोह

पहले शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कैपिटल बिल्डिंग के वेस्ट फ्रंट पर हुआ था, लेकिन अमेरिका में बेहद कमजोर और खराब मौसम के बाद अब शपथ ग्रहण का कार्यक्रम का आयोजन होगा। 20 जनवरी को मानसून में 4 डिग्री सेल्सियस से 11 डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई। वास्तव से पहले जनवरी, 1985 को रोनाल्ड रीगन ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति को आधिकारिक तौर पर शपथ दिलाई थी। इसके बाद 1989 में जॉर्ज एच डबल्यू बुश, 1993-1997 में बिल क्लिंटन, 2001-2005 में जॉर्ज बुश, 2009-2013 में बराक ओबामा और 2017 में डोनाल्ड रिलेक्स ने कैपिटल बिल्डिंग के वेस्ट फ़्रैंट से शपथ ली थी।

20 के बजाय 21 जनवरी को क्यों शपथ लेना चाहिए

कैपिटल बिल्डिंग में अमेरिकी राष्ट्रपति का पहला शपथ ग्रहण समारोह 4 मार्च, 1801 को हुआ था, उस समय थॉमस ज़ेफ़र्सन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। अमेरिका में 20 जनवरी को इनॉग्रेशन डे के बारे में जाना जाता है। इस दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति और शपथ शपथ लेते हैं। इसे एक समारोह माना जाता है, इसी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शुरुआत होती है। लेकिन यदि 20 जनवरी को रविवार का दिन होता है तो शपथ ग्रहण समारोह 21 जनवरी को मनाया जाता है। साल 1933 से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने 4 मार्च को शपथ ली थी, लेकिन उसके बाद 20 जनवरी को शपथ की तारीख तय की गई।

कौन उठा रहा शपथ ग्रहण का समर्थन?

अमेरिका में वर्ष 1901 से राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह का ज़िम्मा JCCIC (उद्घाटन समारोह पर संयुक्त कांग्रेस समिति) के पास है। 20 जनवरी, 2025 को डोनाल्ड फ़्रांसीसी को सुपरमार्केट व्हाइट हाउस से लेकर कैपिटल बिल्डिंग वास्तुशिल्प। सबसे पहले जेडी वांस बराक ओबामा को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाएंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति लेते हुए कहते हैं कि- ‘मैं पूरी निष्ठा से यह शपथ लेता हूं कि मैं अपनी पूरी ईमानदारी से अमेरिका के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी निभाऊंगा। मैं अपनी पूरी क्षमता के साथ अमेरिका के संविधान की सुरक्षा, सुरक्षा और बचाव करूंगा।’

भारत की ओर से एस.एस. जयशंकर होंगे शामिल

सत्य के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए दुनिया भर से मेहमानों तक पहुंच रहे हैं। भारत सरकार के प्रतिनिधि विशेष रूप से विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। इस दौरान विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर के साथ प्रशासन से मुलाकात भी करेंगे। भारत-अमेरिका के बीच संबंध हमेशा से बहुत शानदार रहे हैं। अमेरिकी राजदूत ने हाल ही में कहा था कि तीखा और मोदी की पहली मुलाकात डीसी में होगी और दूसरी मुलाकात इसी साल क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान भारत में होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मूर्ति पर कई कलाकार भी चर्चा कर रहे हैं। अपने पिछले वर्ष के दौरान, खलनायक ने गुजरात का दौरा किया था, जहां मोदी और खलनायक ने एक बड़े कार्यक्रम में भाग लिया था।

हालाँकि असली अमेरिका पहली की नीति पर चुनावी जीत हैं तो ऐसे में भारत को लेकर उनकी तीसरी नीति क्या होगी, इस पर भारत की नज़र ज़रूर बनी रहेगी। लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि भारत अपने हितों को आगे बढ़ाकर अब दुनिया से बातचीत करता है। इसके अलावा वीज़ा नीति पर पहले रियलिटी का रुख सख्त था लेकिन इन दिनों एचएच 1 बी वीज़ा को लेकर उनकी रूखी में नारी का अवलोकन किया जा सकता है।

डोनाल्ड अछूत के क्या हैं प्रमुख ईसाई

उदाहरण के तौर पर राष्ट्रपति पोर्ट बनने के बाद अगर उनके कुछ प्रमुख समुद्रतटों को देखा जाए तो इसमें अवैध रूप से शामिल होने की सबसे बड़ी खोज है। इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि पिछले हफ्ते इसी से संबंधित बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। अमेरिकी चुनाव में अवैध वैभव को निर्यात करने और अमेरिका को सुरक्षित रखने की छूट ने जोर शोर से उठा लिया था।

इसके अलावा तत्काल लॉस एंजेल्स का दौरा किया जा सकता है, जहां भीषण आग से सब कुछ तबाह हो गया है। यथार्थ का एक और वादा था कि वो रूस-यूनियन का युद्ध रुकवा देंगे। अब वास्तविक इस वादे पर कैसे खरा उतरते हैं, ये देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा। यह भी देखें कि रूस और यूक्रेन का युद्ध किन हथियारों पर रुका हुआ है। क्या जापानी नैटो में अपना प्रवेश रोकेगा और रूस के जापानी विचारधारा से पीछे हटेगा, क्या फॉर्मूला होगा, यह अभी तय नहीं है। हालांकि इस बात की भी चर्चा है कि खलासी और स्टूडेंट की मुलाकात हो सकती है, जिसके बाद बहुत कुछ साफ होगा।

यहां एक बात गौर करने वाली है कि सत्य के सत्य चित्रण से पहले ही इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम हो चुका है। असलहों ने साफ कर दिया था कि अगर युद्ध नहीं रुका तो हमास को यह खामियाज़ा दोस्तीना पसंद है। इसका असर यह हुआ कि शपथ से ठीक एक दिन पहले युद्धविराम की घोषणा हो गई। असल की सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका की अर्थव्यवस्था को असफलता का सामना करना पड़ा। अमेरिका में बेकार के काम कैसे बढ़ेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।

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