तिरूपति बालाजी मंदिर: आंध्र प्रदेश का बालाजी मंदिर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां भगवान विष्णु वेंकटेश्वर रूप में मंदिर हैं। देश के सबसे अमीर मंदिर में एक बार फिर से चर्चा में हैं।
श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में लोधी प्रसादम में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल का मामला अभी थमा भी नहीं था कि, अब बालाजी मंदिर में मछली भगवान ने कई लोगों की जान ले ली। आइये जानते हैं बालाजी मंदिर के बार में।
बालाजी मंदिर में दर्शन के नियम
धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार, भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं। सिद्धांत यह है कि जो भी भक्त मन से भगवान वेंकटेश्वर के सामने प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी मुक़तें पूरी होती हैं। यही कारण है कि यहां के बालाजी मंदिर में हर दिन 50 हजार से 1 लाख लोग दर्शन के लिए आते हैं। सामान्य दर्शन में 1 से 3 दिन लग सकते हैं, भीड़ अधिक होती है तो इसमें समय लगता है और वृद्धि भी होती है।
त्रिमाला पर्वत पर बसा मंदिर
जिस नगर में यह मंदिर बना है उसका नाम तिरुपति है और जिस नगर के पहाड़ी पर मंदिर बना है उसे तिरुमाला (श्री+मलय) कहा जाता है। तिरुमाला को वैंकट पर्वतीय या शेषाचलम भी कहा जाता है। यह पहाड़ी ताराकार की विशेषता सात चोटियां हैं जो आदि शेष के प्रशंसकों के प्रतीक माने जाते हैं।
असली बालाजी मंदिर का रहस्य
- गुरुवार को भगवान वेंकटेश्वर को चंदन का लेप दिया जाता है जिसके बाद सामने आता है अद्भुत रहस्य। जब यह लेप उतरता है तो भगवान वेंकटेश्वर के हृदय में माता लक्ष्मी जी के दर्शन होते हैं।
- भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर कान की दृष्टि से समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है।
- श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि भगवान के रूप में मां लक्ष्मी भी स्थापित हैं, इसका कारण श्री वेंकटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनने की परंपरा है।
कभी इस देश में भगवान का बोलबाला था, लेकिन आज कहलाए अल्पसंख्यक हैं
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