<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;"> इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP) के लिए ड्राफ्ट नियम जारी किए थे। इस पर अब लोगों से रिया छूट जा रही है। ड्राफ्ट ड्राफ्ट में कहा गया है कि लॉ बनने के बाद 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति लेनी होगी। अब सरकार ने बताया है कि बच्चों की उम्र क्या है, इसके लिए वेरिफाई करें। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी है।
सरकार के पास है समाधान- वैष्णव
वैष्णव ने कहा कि आज के समय में सरकार के पास बच्चों की उम्र का सत्यापन करने का समाधान है। आज देश में आधार, पेट्रोल सिस्टम और डिजिटल सिस्टम सहित अच्छा डिजिटल ढांचा मौजूद है, जो कई अमीर देशों से बेहतर है। उन्होंने बताया कि बच्चों की उम्र वेरिफाई की जाएगी।
यह तरीका अपना सकती है सरकार
सरकार ने इसके लिए वर्चुअल टोकन का सुझाव दिया है। इसके तहत ऑनलाइन साइट्स को बिल्डर की जगह का टोकन एक्सेप्ट करना होगा। इस तरह ये साइट्स का फुल रिकॉर्ड न देखें और उपभोक्ता की जानकारी सुरक्षित रहेगी। वैष्णव ने यह भी कहा कि कंपनी के इस्तेमाल के बाद इस टोकन को डिलीट करने के लिए कहा जाएगा। पेलेट को बताएं कि गेटवे भी क्रेडिट कार्ड की जानकारी के लिए टोकन दर्शन का उपयोग करते हैं। अगर यह टोकन किसी हैकर या स्कैम के हाथ का निशान है तो असली क्रेडिट कार्ड की जानकारी भी आपके व्यवसाय में रहती है।
नियमों के उल्लंघन पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
नए कानून में क्लासिकल का उल्लंघन है। अगर कोई सोशल मीडिया कंपनी बिना माता-पिता की सहमति के 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अकाउंट खोलता है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करानी होगी। साबित होने पर उस पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
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