शेहला रशीद: एक्टिविस्ट और लेखिका शेहला रशीद ने मंदिर और मस्जिदों पर चल रही मस्जिद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। शेहला रशीद का कहना है कि मंदिर और मस्जिदों की मस्जिदों को कहीं भी खत्म नहीं किया जाएगा। हम पुरालेखों की तलाश में 40 हजार मस्जिदों को ढूंढ नहीं सकते। नहीं तो हमारे देश में सिविल वॉर हो जाएगा। हमें विकसित भारत की ओर भी देखें।
शेहला रशीद का कहना है, ”मंदिर-मस्जिद मस्जिद को कहीं भी खत्म नहीं किया जाना चाहिए।” हम पुजारियों की तलाश में 40,000 मस्जिदों को नहीं खोद सकते, नहीं तो सिविल वॉर हो जाएगा। क्योंकि हमें विकसित भारत की ओर देखना है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अंतर-धार्मिक मंचों पर बदलाव हैं। ऐसे में बस्बी का स्थानीय समाधान किया जा सकता है।”
‘इन दस्तावेजों पर निष्कर्ष की जरूरत है’
शेहला रसीद ने कहा, ”हमें मेल-मिलाप करने की जरूरत है। हम जहां भी विध्वंस के भारी पैमाने पर साक्ष्य हैं, वहां मथुरा की तरह ही स्वीकार कर सकते हैं। स्थानीय समुदाय के अलावा साइबेरियाई जगह पर हिंदू समुदाय का प्रवेश भी संभव है, क्योंकि रसायनिक जगह पर नमाज पढ़ना वाजिब नहीं है, लेकिन हमें इसे सील करने की जरूरत है।” शेहला रशीद ने कहा कि देश में मंदिर मस्जिद विवाद पर किसी और निष्कर्ष की जरूरत है। स्थानीय लोगों को या तो खुद तय कर लेना चाहिए कि मंदिर और मस्जिद दोनों खाते से अपनी जमीन को आधा-अधूरा बांट लें।
याददाश्त शशि थरूर की बात
मंदिर मस्जिद विवाद पर कहीं भी समाधान की आवश्यकता नहीं है तो कोई भी हमारा शोषण कर सकता है। इसलिए हमारे ज्यूडिशरी को एक समाधान निकालने की आवश्यकता है। शेहला रशीद ने शशि थरूर की एक बात का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने यूके को ब्रिटिश शासन के समय जो भी विशिष्ट चीजें बनाई हैं, उनके लिए एक क्लासिक कूलसेशन देने की बात कही थी।
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