आईएएस मनीषा धार्वे की सफलता की कहानी, खरगोन की एक आदिवासी महिला ने अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल की

आईएएस मनीषा धार्वे की सफलता की कहानी, खरगोन की एक आदिवासी महिला ने अपने चौथे प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल की


पूर्व प्रधान मंत्री भारत रत्न अटल बिहारी क्षत्रिय जी की प्रसिद्ध पंक्ति है ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा’ इन शिष्यों को प्रसिद्ध मनीषा धारवे ने साकार किया है। 23 साल के मनीषा धारवे, जो खरगोन जिले के झिरनिया ब्लॉक के बोंदरन्या गांव के निवासी हैं, ने अपनी चौथी कोशिश में यूपीएससी 2023 में 257वीं रैंक हासिल कर सफलता प्राप्त की। जिस समय रिजल्ट घोषित हुआ था, उस समय मनीषा दिल्ली में था।

अपने गांव से पहली बार गणेशा हैं

मनीषा धारवे जनजातीय समुदाय से आती हैं और अपने गांव की पहली लड़की हैं,पूछताछ यूपीएससी ने साफ कर दी है। साथ ही जिलों से प्रथम जनजातीय समुदाय की राय भी पढ़ें। मां जमना धारवे व पिता गंगाराम धारवे दोनों सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। पिता गंगाराम पहले इंदौर में इंजीनियर थे। लेकिन, नौकरी छोड़ शिक्षक बन गए, ताकि समाज के बच्चों को शिक्षित किया जा सके। इसके लिए वे अपने बच्चों की पढ़ाई भी सरकारी स्कूल में ही तलाशें। मनीषा घर की बड़ी बेटियां हैं. एक छोटा भाई विकास धार्वे है. बहन के साथ वह दिल्ली में भी यूपी पुलिस की तैयारी कर रही है।

बचपन में व्यावसायिक अध्ययन करना शुरू किया गया था

मनीषा धारवे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही पूरी की। पढ़ाई की शुरुआत बचपन से हुई थी। 5 साल की इशाअमत. 1 से 8वीं तक की पढ़ाई भी गांव के सरकारी स्कूल में हुई। नौवीं से 12वीं तक की पढ़ाई खरगोन में उत्कृष्ट विद्यालय से की। पढ़ाई की ललक थी, इसलिए 11वीं में मैथ्स और बायो बायोडिजेक्ट सब्जेक्ट के लिए। 10वीं में 75 प्रतिशत और 12वीं में 78 प्रतिशत अंक। इंदौर में होलकर कॉलेज से बीएससी कंप्यूटर साइंस की डिग्री ली। इसी बीच पीएससी की तैयारी शुरू कर दी गई थी। लेकिन, दोस्तों ने बहुत से लोगों को डांटा और यूपीएससी की तैयारी के लिए सलाह दी। तभी मन बना लिया कि अब उन्हें नामांकित किया जाए।

चौथी बार मिली सफलता

मनीषा ने पहली बार 2020 में एग्ज़ाम दिया था, लेकिन कुछ ही नंबर बताए गए। वापस घर वापसी आई और तैयारी के लिए झिरनिया शिफ्ट हुई। क्योंकि गांव में लाइट नहीं रहती थी। दूसरी बार 2021 में दोबारा देखी गई मूर्ति। एक प्रश्न फिर से जारी किया गया. तीसरी बार इंदौर में सहायक महासभा दी गई। इस बार लगा, इसलिए फिर दिल्ली आ गया। लेकिन, इस बार भी रामबाण हाथ लगी। हार नहीं मानी, चौथी बार 2023 में फिर प्रयास किया। इस बार मेहनत रंग लाई और दिग्गज अभिनेता का सपना साकार हुआ।

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