मनमोहन सिंह की मृत्यु समाचार गुरशरण कौर का पहला प्यार सच्ची प्रेम कहानी भारतीय राजनीतिक


मनमोहन सिंह की मृत्यु: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. डोंबम सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। 92 वर्ष की आयु में गुरुवार (26 दिसम्बर) को उनका निधन हो गया। मनमोहन सिंह की छवि एक गंभीर और समर्पित नेता की रही, लेकिन उनका व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही साधारण और गहरा था। राजनीति के शिखर पर पहुंचने के बाद उन्होंने कभी भी अपनी निजी जिंदगी में सार्वजनिक प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बनाया। उनकी और उनकी पत्नी गुरशरण कौर का रिश्ता एक उदाहरण है जहां प्यार, समर्थन और समझदारी अहम थी।

मनमोहन सिंह और गुरशरण कौर की पहली मुलाकात एक साधारण सी घटना थी, जब मनमोहन सिंह एक युवा अर्थशास्त्री थे और गुरशरण कौर एक शिक्षक थे। दोनों के बीच एक सादगी और सहजता थी जो धीरे-धीरे गहरी दोस्ती में बदल गई। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने का फैसला लिया। दोनों ने पारंपरिक भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की जो बेहद साधारण और स्वादिष्ट थी।

मनमोहन सिंह की गुरशरण कौर से पहली मुलाकात

1957 में केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत छोड़ दिया तो उनके परिवार ने उनकी शादी के लिए विविधता देखना शुरू कर दिया और एक समृद्ध परिवार का प्रस्ताव आया। लड़की एजुक वर्णित नहीं थी. डॉ. डॉ. डॉ. सिंह ने यह स्पष्ट किया है कि “डॉ. डॉ. नहीं चाहिए एक पढ़ी-लिखी लड़की।” इसी बीच गुरशरण कौर की बड़ी बहन बसंत ने मनमोहन सिंह के बारे में सुना और उनके रिश्ते लेकर आईं। उनकी पहली मुलाकात छत पर हुई, जहां गुरशरण कौर सफेद सलवार-कुर्ते में दार्शनिक नजर आए। इतिहास में एमए कर रही गुरुशरण को देखकर मनमोहन सिंह ने तुरंत ‘हां’ कर दी और कुछ इस तरह हुई उनकी शुरुआत.

पहली मुलाकात के बाद एक संगीत कार्यक्रम में गुरशरण कौर ने कीर्तन किया, जिसमें उनके गुरु ने आलोचना की। इस पर मनमोहन सिंह ने कहा, “नहीं, उन्हें बहुत अच्छा लगा।” उनकी महिमा ने गुरुशरण को प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने गुरुशरण को अपने घर पर बुलाया, जहां उन्होंने अंडे और टोस्ट पेश किए। ये उनके स्टाइल में इम्प्रेस करने का एक तरीका था जो उनके सरल और स्टैम्प वाले मॉडल में शामिल था।

गुरशरण कौर का समर्थन और विश्वास

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनके और गुरशरण कौर की जिंदगी में कोई खास बदलाव नहीं आया। उनका रिश्ता हमेशा शांति, विश्वास और समर्थन से भरा रहता है। गुरुशरण कौर ने हमेशा अपने पति का साथ दिया, उनके प्रधानमंत्री बनने के समय या फिर उनके नेतृत्व की चुनौती के दौर में आर्थिक संकट पैदा हो गया। मनमोहन सिंह का मानना ​​था कि व्यक्तिगत मतभेद विशेष रूप से विवाह को हमेशा के लिए रखा जाना चाहिए और निजी रखा जाना चाहिए।

वे कभी-कभी अपनी पत्नी को सार्वजनिक जीवन में बड़ी कमाई से बचाते थे, क्योंकि उनका मानना ​​था कि एकल रिश्ते को राजनीति के चक्रव्यूह में नहीं खींचा जाना चाहिए। सरलता, गहराई और सच्चा प्यार उनकी सोच और उनके जीवन का मूल था।

अविश्वासी सिंह की सच्ची ताकत

मनमोहन सिंह का ये विश्वास था कि वे कभी भी शोहरत या सार्वजनिक ध्यान का मोह नहीं कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा अपनी सूची में अपनी पत्नी गुरशरण कौर का समर्थन लिया। यह समर्थन ही उनकी सच्ची ताकत थी, जो उन्हें राजनीति के संघर्षों और सार्वजनिक जीवन में स्थिरता प्रदान करती थी। उनका रिश्ता सिर्फ एक पारंपरिक विवाह नहीं था, बल्कि गहरी दोस्ती, समझ और विश्वास का एक उदाहरण था।

मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने हमेशा अपने निजी और सार्वजनिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखा। उनके लिए परिवार और प्यार हमेशा उनकी आस्था रही और यही उनकी असली ताकत थी। राजनीति में ऐसा उदाहरण बहुत ही कम देखने को मिलता है और यही कारण था कि उनकी और गुरशरण कौर की प्रेम कहानी भारत के लिए एक आदर्श बन गई।

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