शीतकालीन संक्रांति 2024: फ़्लोरिडा का सीज़न शुरू हो चुका है। दिन छोटे होते जा रहे हैं और रातें लंबी होती जा रही हैं। 21 दिसंबर का दिन खास है क्योंकि यह दिन साल की सबसे लंबी रात होगी। जो लगभग 16 घंटे तक का समय. जबकि दिन सिर्फ 8 घंटे का होगा. यह संक्रांति शीतकाल है (शीतकालीन अयनांत) के नाम से जाना जाता है. इस दिन पृथ्वी पर सूर्य से अधिक दूरी बनी हुई है और चाँद की रोशनी पृथ्वी पर अधिक समय तक बनी हुई है। शीतकालीन संक्रांति का कारण यह है कि पृथ्वी अपने ध्रुव पर 23.4 डिग्री का तापमान रखती है। सामान्य दिनों में 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है। वहीं 21 दिसंबर के बाद रात छोटी हो रही है और दिन बड़ा हो रहा है।
सामान्य दिन जब दिन और रात समान होते हैं। आमतौर पर ये 12-12 घंटे के होते हैं लेकिन 21 दिसंबर के बाद रातें छोटे बच्चे और दिन बड़े होने लगते हैं। इस दिन उत्तरी गोलार्ध (उत्तरी गोलार्ध) में मौजूद सभी देशों में दिन का बोझ और रात छोटी होती है। खास बात ये है कि जब भी आपकी परछाई साथ निकलती है तो इस दिन ऐसा पल भी सामने आता है।
उत्तरी गोलार्ध में कौन-कौन देश आते हैं
पूरा उत्तर अमेरिका |
मध्य अमेरिका |
कैरिबिया |
शीतकालीन संक्रांति (winter solstice meaning in English)
सोल्स्टिस एक लैटिन शब्द है। जो सोल्स्टिम उत्पन्न हुआ है। लैटिन में ‘सोल’ का अर्थ सूर्य है। जबकि ‘सेस्टेयर’ का अर्थ स्थिर रहता है। इन दोनों शब्दों के संयोजन से सोलस्टिस का निर्माण हुआ है। जिसका अर्थ है सूर्य का स्थिर रहना. इस प्राकृतिक परिवर्तन के कारण, 21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होने वाली है।
रात का समय सबसे भारी
21 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होगा। पृथ्वी के अपने धुरी पर भ्रमण के दौरान एक ऐसा दिन आता है जब दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की पृथ्वी से दूरी सबसे अधिक होती है। इस कारण से, 21 दिसंबर का दिन साल का सबसे छोटा होने वाला है और इस दिन की रात का समय सबसे भारी होता है। इसे विंटर सोलस्टाइस के नाम से जाना जाता है।
कुछ वर्षों में वेंट सोलस्टाइस की तारीख में परिवर्तन होता है। लेकिन इस दिन का समय 20 से 23 दिसंबर के बीच होता है। 21 दिसम्बर को सूर्य की पृथ्वी से अधिकतम दूरी होती है क्योंकि सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सबसे देर से होती हैं। इस कारण तापमान में भी थोड़ी कमी होती है। विभिन्न देशों में इस दिन कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। पश्चिमी देशों में सबसे प्रमुख त्योहार क्रिसमस है। जो विंटर सोलस्टाइस के तुरंत बाद आता है। इसी प्रकार, चीन और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में बौद्ध धर्म के यिन और यांग पंथ से संबंधित लोग साइंट सोलस्टैस को एकता और समृद्धि को बढ़ावा देने का दिन माना जाता है। विभिन्न देशों में विभिन्न सोलस्टेसिस के संबंध अलग-अलग हैं। अधिकांश देशों में इस दिन से जुड़ी कुछ धार्मिक रीति-रिवाज होती हैं।
इस समय भारत में मलमास का समय (Kharmas 2024)
जब विंटर सोलस्टैस आता है, तब भारत में मलमास का समय होता है, जिसमें संघर्ष काल भी कहा जाता है। इस संदर्भ में, उत्तर भारत में श्रीकृष्ण को अभयदान देने और गीता का पाठ करने की परंपरा है, जबकि 22 दिसंबर से राजस्थान के कुछ इलाकों में पौष उत्सव की शुरुआत होती है। सूर्य के उत्तरायण की प्रक्रिया सोलर सोलस्टेसिस से प्रारंभ होती है, इसलिए भारत में इसका विशेष महत्व है।
इसलिए दिन और रात होते हैं
पृथ्वी के अपने अक्ष में घूमने के कारण दिन और रात होते हैं। साथ ही समय घटता बढ़ता रहता है। अगर धरती नहीं होती तो सूर्य के किनारे वाला हिस्सा हमेशा सूरज के प्रकाश में रहता है और दूसरी तरफ का हिस्सा अंधेरे में डूबा रहता है।
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