अजरबैजान चाहता है भारतीय हथियार: आर्मेनिया के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच अजरबैजान ने भारत से हथियार गायब होने की इच्छा जाहिर की है। सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन एक तीसरे दोस्त देश के जरिए नई दिल्ली को मैसेज भेजा गया है। अजरबैजान की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक की बात भी हैरान करने वाली है क्योंकि वह हमेशा पाकिस्तान या तुर्की से हथियार लेता रहता है। वहीं अजरबैजान के शत्रु देश आर्मेनिया ने भारत से कई रक्षा प्रण लिया है। यही कारण है कि अजरबैजान की इस चाहत ने दूसरे देशों का ध्यान खींचा है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अजरबैजान के इस मैसेज को अप्रूवल कर दिया है। नई दिल्ली में यह साफ कर दिया गया है कि भारत अपने मोटरसाइकिलों को खुद डिसाइड करना चाहता है और वह नहीं चाहता कि इसमें कोई बिचौलिया बने। कुल मिलाकर भारत ने अजरबैजान को हथियार देने में जरा भी हथियार नहीं दिखाया।
तीसरा देश बना बिचौलिया
इस मामले से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि अजरबैजान ने कभी भी भारत के साथ इस विषय पर सीधे तौर पर बात नहीं की, न ही आधिकारिक तौर पर और न ही अनजाने में। इन सब से हटकर एक तीसरा देश भारत से संपर्क करता है और कहता है कि दक्षिण एशियाई देश अपना स्वदेशी हथियार बनाना चाहता है और एक साझीदार की तलाश कर रहा है तो वह अजरबैजान की ओर ध्यान दे सकता है। लोगों ने बताया कि अजरबैजान अपने शत्रु आर्मेनिया से भारत के साथ साइंटिस्ट साइंटिस्ट की तरह मेल खाना चाहता है।
अफ़ग़ान विमान के बेड़े को मजबूत बनाना चाहता है
येरेवन ने समुद्र में कुछ समुद्रों के बीच अजरबैजान के साथ चल रहे विवाद के बीच अपनी सशस्त्र सेनाओं को और भी अधिक मजबूत करने के लिए भारत की ओर रुख किया है और रॉकेट लॉन्चर, आर्टिलरी गन, गोला बारूद, स्नाइपर राइफल और एंटी टैंक मिसाइलें आवंटित की हैं। इतना ही नहीं आर्मेनिया अपने सुखोई Su30 पासपोर्ट्स के बेड़े को मजबूत करने के लिए और भी ज्यादा मिसाइलों की खरीद कर रहा है।
जम्मू और कश्मीर येरेवन में भारत की स्थिति का समर्थन करते हैं
भारत के लिए आर्मेनिया सिर्फ एक सतत रक्षा साइंटिस्ट नहीं है बल्कि इस क्षेत्र में एक राजनीतिक तानाशाही के रूप में भी देखा जाता है और फ्रांस के साथ इसके अटूट संबंध हैं। भारत का एक और साझीदार ग्रीस भी अपनी रक्षा सेनाओं को बढ़ाने में मदद कर सकता है ताकि अर्मेनिया को हथियार भेजा जा सके। येरेवन जम्मू और कश्मीर भारत की स्थिति का भी एक मजबूत समर्थक है। भारत, फ्रांस और ग्रीस के सभी आर्मेनिया की सुरक्षा सेनाओं का समर्थन करने की ओर देख रहे हैं। इसकी तुलना में अजरबैजान को तुर्की और पाकिस्तान सहित देशों के बढ़ते समूह का हिस्सा माना जाता है।
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