तबला वादक जाकिर हुसैन को हार्ट एसोसिएटेड एसोसिएट्स के बाद अमेरिकन सिटी सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मीडिया के अनुसार जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. जाकिर हुसैन को पुरी दुनिया ने याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने तबला वादन से न जाने कितने करोड़ लोगों का दिल जीत लिया।
दार्शनिक जाकिर हुसैन महान तबला वादक अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे थे। उन्होंने अपने पिता के पदचिन्हों पर रहकर भारत और दुनिया भर में एक अलग पहचान बनाई। इमाम के अनुसार हुसैन ने अपने इतिहास में पाँच ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त किये हैं, जिनमें से इस वर्ष की शुरुआत में तीन 66वें ग्रैमी पुरस्कार मिले थे। भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
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यहां से की पढ़ाई
भारतीय तबला वादक और संगीतकार जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को बॉम्बे में हुआ था। अगर जाकिर हुसैन की शिक्षा की जाए तो उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा माहिम सेंट माइकल्स हाई स्कूल से की और बाद में मुंबई के प्रसिद्ध सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरी की।
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कम उम्र में ही कर लिया कारनामा
कहावतें हैं कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने केवल 11 साल की उम्र में अमेरिका में अपना पहला संगीत कार्यक्रम किया था। साल 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था। भारत ही नहीं देश-विदेश में सार्वभौम फेवरेट तबला वादक थे।
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