मुहम्मद यूनुस सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार बांग्लादेश भारत संबंध के बारे में बताते हैं


भारत-बांग्लादेश के बीच लगातार ख़राब प्रदर्शन के बीच अब मोहम्मद यूनुस सरकार के टियर टुकड़ियां बनी हुई हैं। दोनों देशों के संबंध अपने सबसे खराब स्तर पर पहुंच गए हैं। कुछ दिन पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बांग्लादेश का दौरा किया था और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की थी। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शनिवार (14 दिसंबर 2024) को कहा कि वह भारत सहित सभी देशों के साथ सद्भावना और सद्भावना पर आधारित मजबूत संबंध चाहती है।

‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, विदेशी मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने नरसिंगडी के रायपुरा और बेलाबो उपजिलाओं में अधिकारियों, गिरिजाघरों, नेताओं और बुद्धिजीवियों के साथ दो अलग-अलग बैठकों के दौरान इन उद्यमियों की उपस्थिति दर्ज कराई है।

बदले बदले हैं बांग्लादेश के तेरह

मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश ने भारत को संदेश भेजा है, जिसमें अच्छे प्रदर्शन की इच्छा जताई गई है, लेकिन यह मैत्रीपूर्ण संबंधों पर आधारित होना चाहिए। हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश सभी देशों के साथ सम्मान और समानता के आधार पर अच्छे संबंध चाहता है और सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है। हुसैन ने अंतरिम सरकार की सामुहिक शासन व्यवस्था के प्रति वृत्तांत पर भी ज़ोर दिया, जिसमें छात्रों सहित जनता की सुविधाओं को दूर करना और कर्मचारियों के चुनाव सुनिश्चित करने के उद्देश्यों से सुधारों को लागू करना शामिल है।

बांग्लादेश में कब होगा चुनाव?

बांग्लादेश में पिछले साल ही आम चुनाव हुए थे. इस चुनाव में शेख़ ख़ुशना की अवामी पार्टी को बहुमत हासिल हुआ था। लेकिन तब नामांकन ने चुनाव में हिस्सा ही नहीं लिया था. इसके करीब एक साल बाद अगस्त में शेख हसीना को उग्र हिंसक आंदोलन की वजह से पद से मुक्त देश में कैद कर दिया गया था। इसके बाद छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रही संगठन ने मोहम्मद यूनुस को अस्थायी सरकार का मुख्य सलाहकार बनाया. लेकिन लगातार सवाल उठ रहे हैं कि बांग्लादेश की सत्ता एक ऐसी सरकार के हाथ में कब रहेगी जो जनता ने नहीं बनाई है।

इस तरह के सवाल को लेकर विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि हम कुछ सुधारों पर काम कर रहे हैं, जैसे ही ये सुधार हो जाएंगे, उनके बाद राजनीतिक सत्ता पार्टियों के नेता आम हो जाएंगे।

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