<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;"सीरिया गृह युद्ध: सीरिया में बशर-अल-असद की सरकार गिरने के बाद भी विद्रोहियों की नफरत कम नहीं हुई है। विद्रोहियों की ओर से रविवार (11 दिसंबर, 2024) को बशर अल-असद के पिता शहीद अल-असद की कब्र पर आग लगा दी गई। तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं, जिनमें धड़कती ताबूत पर कुछ बागी नजर आ रही हैं। धमतरी अल-असद की कब्र पश्चिमी सीरियाई प्रांत लाबाकिया में बनाई गई थी।
सीरिया की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने अपनी दक्षिण अफ्रीका यात्रा के दौरान कहा, ”विद्रोही सेनाओं की ओर से राष्ट्रपति बशर अल-असद को उखाड़ फेंकने के बाद सीरिया में उम्मीद के संकेत दिखाई दे रहे हैं।” सीरियाई तानाशाह के अंत के बाद हम मध्य पूर्व को फिर से आकार लेते हुए देख रहे हैं। हम आशा के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं।”
बशर अल-असद के परिवार के पांच दशक लंबे शासन के अंत के बाद सीरिया में क्या हो रहा था।
1- न्यूज एजेंसी एफिशिएंसी के मुताबिक, सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के पिता शहीद अल असद की कब्र पर विद्रोहियों की ओर से रविवार को उनके गृहनगर करदाहा में आग लगा दी गई।
2- सीरियन ऑब्जर्वेटरी ने मैरियन राइट्स वॉर के पर्यवेक्षक के रूप में बताया कि विद्रोहियों ने असद के अपावी समुदाय के कबाबकिया गढ़ में स्थित मकबरे के कुछ सिद्धांतों में आग लगा दी और उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया गया।
3- मताकिया गढ़ में एक पहाड़ी के ऊपर एक विशाल संरचना में कई कब्रें बनी हुई हैं, जिनमें असद परिवार के अन्य संप्रदाय की भी कब्रें हैं। इनमें बशर के भाई बैसेल की भी कब्र शामिल है, जिसका उदाहरण वर्ष 1994 में सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। बैसेल को सत्ता पर अलॉट करने के लिए तैयार किया जा रहा था।
4- रविवार को सीरिया में विद्रोहियों की ओर से दमिश्क शहर पर कब्ज़ा कर लिया गया, जिसके बाद बशर अल-असद को देश छोड़ने पर मजबूर किया गया और असद परिवार पर 50 से अधिक वर्षों तक शासन का अंत हो गया।
5- सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल जलाली का कहना है कि वह नामांकन के साथ सहयोग करने और राज हासिल करने के लिए तैयार हैं।
6- विद्रोहियों के समूह हयात शामियाल शाम के नेतृत्व कर रहे नेता अबू मोहम्मद अल गोलानी ने कहा कि नए शासन उन लोगों को माफ नहीं करना चाहिए, जो विद्रोहियों पर हमला करते हैं और उनकी हत्या में शामिल हैं।
7- दमिश्क की ओर से विद्रोहियों ने कब्जा करने से पहले देश छोड़ कर भागे असद परिवार ने रूस में शरण ली है।
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