बशर-अल-असद का खेल ख़त्म, क्या सीरिया पर कब्ज़ा इजराइल-तुर्की?



<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">सीरिया में बशर-अल-असद के तख्तापलट के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब सीरिया पर किसकी हुकूमत होगी। जिस विद्रोही संगठन हयात शाहिद अल-शाम यीज़ के नेतृत्व में ये पुरा तख्तापलट हुआ, उसके मुखिया अबू मोहम्मद अल जुलानी अब सीरिया के नए शासक होंगे। या फिर सीरिया पर अब इजराइल की ही हुकुमत होगी, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था. या फिर सीरिया में कई अलग-अलग हिस्सों को तोड़ दिया गया और उसके हर एक हिस्से पर दुनिया के अलग-अलग देशों ने कब्जा कर लिया। अब सीरिया का भविष्य क्या है, जानें विस्तार से.

सीरिया में बशर-अल-असद के 24 साल के शासन का अंत करना हयात रेडिएटर अल-शाम के लिए कभी आसान नहीं था। इस तख्तापलट के लिए इस चरमपंथी संगठन ने बहुत इंतजार किया। इस बात का इंतजार करें कि असद और उनकी सेना कैसे प्रभावित होती है। इंतजार कीजिए इस बात का कि रूस, यूक्रेन के साथ जंग में उतर जाए और असद की मदद न कर पाए। इस बात का इंतजार करें कि ईरान, हमास और हिजाब इजराइल के साथ जंग में बने रहें और ये सीरिया की मदद न कर सके। और जब तय हो गया कि न तो रूस और न ही ईरान अब सीरिया की मदद के लिए आगे आ सलाह तो हयात शमीम अल-शाम के नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने अपनी सेना दिखाई और 15 दिन के अंदर-अंदर असद का तख्तापलट करके उन्हें रूस ने जबरदस्ती कर दी। ये आसान नहीं है, क्योंकि सीरिया पर कब्जे की छूट में अब तुर्की के अलावा इजराइल और अमेरिका भी शामिल हैं। असद शासन के ख़ात्मे के बाद अमेरिका ने सीरिया में 140 बम गिराए हैं। हालांकि, अमेरिका का दावा है कि उसने ये हमला सीरिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस के निशाने पर किया है, लेकिन अमेरिका की तरफ से हमले तो जाहिर तौर पर हो ही जाते हैं।

बाकी इजरायल ने तो सीरिया में कहा अपनी सेना ही भेजी है, जिसने गोलान हाईट्स में करीब 10 किलोमीटर तक अपना कब्ज़ा कर लिया है। इसके अलावा इजराइल ने भी अमेरिका की तरह सीरिया के अलग-अलग विचारधारा में 100 से ज्यादा बड़े हवाई हमले किए हैं, लेकिन इजराइल ने इस हमले के लिए दूसरी तर्क दिया है. इजराइल का दावा है कि बशर-अल-असद ने अपने वक्त में रासायनिक हथियार बनाए थे और अब जब सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा है तो ये रासायनिक हथियार गलत हाथों में हाथ लग सकते हैं, क्योंकि उनके खात्मे के लिए इजराइल हवाई हमले कर रहा है। . यानी कि इजराइल ने भी अपना विधान बनाया है तो जाहिर तौर पर कर ही दिया है। तो तुर्किये स्ट्रेट एविअर्स एन डेक एचटीएस और अबू मोहम्मद अल जुलानी के माध्यम से ही सीरिया पर व्यवसाय का ख्वाब देखा जा रहा है। ऐसे में कम से कम सीरिया में तीन विचारधाराओं में बंटा हुआ नजर आ रहा है, जिसमें तुर्की के समर्थन से सबसे बड़े हिस्से पर एच आतंकियों का कब्जा है। बड़ा दूसरा भाग सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज के पास है, जो अमेरिका का समर्थन करता है और तीसरा भाग गोलान हिट्स वाला है, जहां इजराइल का कब्जा है। बाकी जिन इलाक़ों पर सीरियन नेशनल आर्मी का भी कब्ज़ा है, उन पर तुर्कियों का ही कब्ज़ा है क्योंकि ये सेना तुर्कियों के समर्थन से ही बनी हुई है। हालाँकि, इसके अलावा एसआईएस एसआईएस भी हैं, जो मध्य सीरिया के कुछ द्वीपों पर अपना कब्ज़ा जमाए हुए हैं। ऐसे में अभी सीरिया पर आखिरी बार कब्जा किसका होगा और हुकुमत किसकी होगी, तय नहीं है। क्योंकि अब सीरिया का भविष्य सीरिया के लोगों को नहीं बल्कि अमेरिका, इजराइल और तुर्कियों को मिलना है। बाकी अगर रूस ने पास बदल दिया तो फिर पूरी कहानी ही हो सकती है। ऐसे में अभी सीरिया के भविष्य को लेकर कुछ भी कहा जाएगा।

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