विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए एक नए ढांचे का प्रारूप तैयार किया है। ‘ग्रेजुएट डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री रेगुलेशन, 2024’ के तहत छात्रों के लिए शिक्षा के नए अवसरों और लचीलेपन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। यह विशेष रूप से छात्रों के लिए बायएनुअल स्टूडेंट (दो बार प्रवेश) और ड्यूल डिग्री प्रोग्राम की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उच्च शिक्षा में समावेशिता और बहु-विषयक अध्ययन को बढ़ावा मिलता है।
एसोसिएट्स के अध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश कुमार ने बताया कि नई स्थापत्य कला में उच्च शिक्षा के प्रोफेसरों को कम करने, विद्यार्थियों को अधिक से अधिक अलॉटमेंट और विभिन्न विषयों में अध्ययन के अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास है। उनके अनुसार इस दस्तावेज़ का उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में लचीलापन लाना है। हम चाहते हैं कि छात्र अपनी पसंदीदा दिशा में अध्ययन करें।
ये खास सुविधा
इस फ्रेमवर्क में सबसे बड़ा बदलाव द्विवार्षिक प्रवेश की सुविधा है। अब उच्च शिक्षा संस्थान (HEI) यदि तैयार हैं, तो जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में छात्र प्रवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, छात्रों को एक ही समय में दो यूजी या पीजी कार्यक्रम करने की स्वतंत्रता भी दी जाती है, जिससे उन्हें कई कौशल विकसित करने का अवसर मिलता है।
जरूरी बात
साथ ही एक और प्रमुख बदलाव यह है कि छात्र अपनी पिछली शिक्षा या विषय के बावजूद किसी भी यूजी या पीजी कार्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं, वे संबंधित प्रवेश परीक्षा में सफल हो सकते हैं। इस क्षेत्र के छात्रों के लिए शिक्षा समाप्त करने का प्रयास किया गया है।
क्रेडिट की जरूरत है आसान
नए छात्रों के लिए क्रेडिट की आवश्यकताएं भी आसान हो गई हैं। यूजी डिग्री के लिए छात्रों को अपने मेन सब्जेक्ट में कम से कम 50 फीसदी क्रेडिट हासिल करना होगा। बाकी क्रेडिट को वेबसाइट, अप्रेंटिसशिप या बहु-विषयक अध्ययन से पूरा किया जा सकता है।
नया निर्माण कार्य संस्थान
इस फ्रेमवर्क से एक और महत्वपूर्ण निदेशक यह है कि उच्च शिक्षा संस्थान के छात्रों की उपस्थिति के लिए अपने स्टूडियो में फाउंडेशन बनाएं, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के घटक हैं। यह छात्रों को अधिक लचीलेपन और समायोजन का अवसर प्रदान करता है।
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