किसी काम में शामिल होने का मतलब यह नहीं कि जिंदगी खत्म हो गई और प्रयास करना छोड़ दिया जाए। कहते हैं मन के हारे हार और मन के जीत है. पिछले दिनों अभिनेता विक्रांत मैसी की एक फिल्म आई थी 12वीं फेल, जो मध्य प्रदेश में रहने वाले एक फेलिआ मनोज शर्मा कुमार की सच्ची कहानी पर आधारित थी। मनोज की कहानी तो फिल्म के माध्यम से सबके सामने आ गई, जिस देश में न जाने कैसे-कैसे लोग हैं, कैसे-कैसे लोग हार और असफलता के बाद भी हार नहीं मानते और अपने सार्थक प्रयास से सफलता की मिसाल पेश करते हैं। ऐसा ही एक नाम है राकेश अंजू शर्मा का।
फेल बाज़ ऐसा सबक कि सब दंग रह गए
अंजू शर्मा ने अपनी सफलता की कहानी खुद गढ़ी है। विफलता, फेल, नाकामी जैसे शब्दों में सफलता, पास, कार्य में सफलता, पास, काम में सफलता वाली अंजू शर्मा ने उन व्यापारियों को चुना जो आपके लिए सामान्य सा कौशल वाले व्यक्ति के लिए बहुत मुश्किल काम लगते हैं। यूपीएससी सिविल सोसायटी (यूपीएससी) हमारे देश में कठिन परीक्षाओं में से एक है। पर होने वाले हैं कि 10वीं और 12वीं में फेल के बाद अपनी मेहनत लगन और हारकर न स्टूडेंट की जिद ने अंजू शर्मा को रीसायकल बना दिया।
अंतःपुर में छा गया
बात सन 1991 की है. अंजू शर्मा नाम की 22 वर्ष एक ग्रुप यूपी सोसायटी सोसाइटी पास कर राजकोट में नामांकित निवेशक बनीं। ख़बरें और न्यूज़ पेपर्स के नोट्स में छाई इस लड़की की सफलता की इबारत, जब लोगों ने सुनी तो डंग रह गई। गुजरात कैडर की वैज्ञानिक अंजु ने बताया कि वे कभी हार से नहीं हारते। वह 12वीं में अर्थशास्त्र विषय में फेल हो गया था। और 10वीं की प्री बोर्ड परीक्षा भी पास नहीं कर पायी थी.
हालाँकि अन्य विषयों में डिक्टेशन मिली थी। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि मुझे घबराहट या चिंता होने लगी, बजाय इसके कि मैंने पढ़ाई छोड़ दी और बातचीत पर ध्यान केंद्रित कर लिया। इस दौरान उनकी मां मोटिवेट चलती रहीं। उन्होंने कहा कि एक बार असफल होने पर निराश होने के बजाय उससे सीख लें। फिर क्या था मेहनत, लगन और कुछ कर मेहनत की जिद ने सफलता के वो मुकाम हासिल किये जो किये थे कल्पना से भी परे।
पहली बार क्लीयर कर दी राय का टेस्ट
उनके विद्वानों का कहना है कि अंजू को यह समझ आ गया था कि उनकी पढ़ाई की रणनीति सही नहीं है। कॉलेज में उन्होंने शुरुआत से ही पढ़ाई पर फोकस किया। फिर मुकर नहीं देखा. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की और यही नहीं कॉलेज में गोल्ड मेडल जीता। जयपुर से उन्होंने बीएससी और एमबीए की पढ़ाई की। इसके बाद अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी। 22 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा प्रथम प्रयास में पास कर ली. राजकोट में पहली पोस्टिंग डेमोक्रेट के पद पर मिली। फिर गांधीनगर में रजिस्ट्रार बने और अब शिक्षा विभाग के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सचिवालय गांधीनगर में प्रधान सचिव हैं।
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