दो-चार बार मीटिंग का ये मतलब नहीं कि प्रयास करने दिया जाए. हार के बाद लगातार प्रयास का जज़्बा ज़ीरिट जीत दिल देता है। यह साबित कर दिखाया गया है कि 736 रेटिंग हासिल करने वाली तस्किन खान ने। तस्कीन खान ने तीन बार की यूपी सिविल सेवा परीक्षा की अंतिम बैठक के बाद चौथी बार आखिरकार दिखाया कि वे किस थाने में थे।
पुरावशेष छोड़ें बाबियों
उत्तराखंड के मेमोरियल की रहने वाली तस्कीन खान की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है। दुनिया की किस्मत में चमकने वाली तस्कीन ने अपना यह किरदार छोड़ कर रियाज बनने का ख्वाब संजोया और उसे पूरा कर दिखाया। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा रैंक 736 के साथ पास की। हालाँकि इससे पहले उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के लिए नीट की परीक्षा भी दी थी। नीट एसोसिएट तो कर लिया लेकिन माता-पिता की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उन्होंने अपनी लाडली को डॉक्टरी की पढ़ाई कराई।
सिद्ध कर दिया थान लो तो कुछ भी मुश्किल नहीं
तस्किन खान ने कहा कि अगर मेहनत-लगन से प्रयास किया जाए तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। 2022 में ढलानों से उतारे गए सिविल सेवा परीक्षा में 736वीं रैंक हासिल कर यह साबित कर दिखाया गया। हालाँकि यह उन्हें तीन बार असफल होने के बाद मिली। तस्कीन खान ने आईएएस बनने के लिए तीन बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी थी, लेकिन सरकार बार-बार रुकी। उन्होंने कोई मणि नहीं हारी और चौथी बार सफलता ने उनके कदम आगे बढ़ाए।
खेल भावना को ऊपर की ओर से सफलता प्राप्त हुई
तस्कीन खान ने एक साक्षात्कार में कहा था, कि वह सर्वश्रेष्ठ क्लासिक के रूप में नहीं रहीं, लेकिन खेल में हमेशा आगे रहीं। खेल में अक्सर असफलता के बाद ही सफलता मिलती है। खिलाड़ी कई बार हार जाता है लेकिन वह खेल नहीं छोड़ता। इसमें खिलाड़ी मन बनाए रखने वाली तस्कीन ने भी यही भावना अपनाते हुए तीन बार होने वाली रैली के बावजूद हार नहीं मानी और अराध्य बोरने का सफर पूरा कर दिखाया।
दुनिया से देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास की
तस्किन एक प्रोफेशनल मॉडल ही नॉबॉल की चैंपियन भी रही हैं। यही नहीं वह राष्ट्रीय स्तर पर डिबेटर भी रह रहे हैं। कुदरत से प्राप्त सुंदरता और साक्षत्कार ने उन्हें केवल एक मॉडल नहीं बनाया बल्कि मिस उत्तराखंड और मिस मिसेज का खिताब जीताया। उन्होंने 2016-17 में इस खिताब के लिए किस्मत आजमाई थी।
पिता की बीमारी से मुक्ति
मिस उत्तराखंड का खिताब जीतने के बाद वह मिस इंडिया की तलाश में थी, लेकिन पिता की बीमारी और विरासत के कारण उन्हें छोड़ दिया गया। यूपी एसएससी परीक्षा की तैयारी के लिए मुंबई चला गया फिर 2020 में दिल्ली आ गया। जामिया की निःशुल्क प्रवेश परीक्षा के माध्यम से कोचिंग की।
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