दादी नानी की बातें हिंदू धर्म के अनुसार लड़की को पैर क्यों नहीं छूने चाहिए

दादी नानी की बातें हिंदू धर्म के अनुसार लड़की को पैर क्यों नहीं छूने चाहिए


दादी-नानी की बातें: बड़े-बुजुर्ग के पास उदाहरण यानी अपने जीवन को संवारना है। दादी-नानी की छाँव में क्रोध मिट जाते हैं और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन का अंधकार दूर हो जाता है। बड़े बुजुर्गों की सलाह से बताए गए काम हमें नुकसान से बचाते हैं। इनके पास ज्ञान का अथाह भंडार होता है।

वृद्ध ने अपने जीवन में कई उपदेश दिए हैं और अनुभव के आधार पर वे सलाह देते हैं। दादी-नानी हमेशा हमें असहमत पर टोका करती हैं। कई बार कुंवारी कन्याएं या घर की बेटियां (बेटियां) अपने पैर छोड़ती हैं तो वह उन्हें यह कहकर रोक देता है कि अरे-अरे घर की बेटियां पैर नहीं छूती हैं।

दादी-नानी की बातें अंधविश्वास (अंधविश्वास) नहीं होती, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य या फिर धार्मिक महत्व जरूर जुड़े होते हैं। आइए धार्मिक दृष्टिकोण से आधार पर यह भी जानें कि आखिर क्यों दादी-नानी बेटी को पैर से मनाती हैं।

पैर क्यों नहीं छूती बेटियां (बेटियां पैर क्यों नहीं छूती)

वास्तविक हिन्दू धर्म (हिन्दू धर्म) में कन्या को देवी (देवी) का स्वरूप माना जाता है। इसलिए लोग लड़कियों को ना ही पैर छूते हैं और ना ही चरण करवा छूते हैं। सिद्धांत यह है कि आयन (बेटियों) चरण स्पर्श से पाप लगता है। इसलिए कन्याओं को बिना पैर छुए ही उनके सिर पर हाथ फेरकर बुजुर्ग आशीर्वाद दे देते हैं। कई स्थानों पर आज भी यह परम्परागत अभिव्यक्ति होती है।

भारतीय प्राचीन परंपरा के अनुसार, माता-पिता (माता-पिता) भी अपनी बेटी को पैर नहीं देते हैं। वहीं कई स्थानों पर ऐसी भी परंपरा है कि मित्र के चरण स्पर्श से पुण्य नष्ट होते हैं। वहीं मामा-मामी (मामा-मामी) को अपने भांजा-भिनगी (भांजी) को भी पैर नहीं रखना चाहिए।

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अस्वीकरण: यहां चार्टर्ड सूचना सिर्फ अभ्यर्थियों और विद्वानों पर आधारित है। यहां यह जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह के सिद्धांत, जानकारी की पुष्टि नहीं होती है। किसी भी जानकारी या सिद्धांत को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।



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