मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 5 दिसंबर 2024 मुहूर्त शुभ योग गणेश पूजा विधि

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 5 दिसंबर 2024 मुहूर्त शुभ योग गणेश पूजा विधि


मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 2024: इस बार विनायक चतुर्थी 05 दिसंबर को मनाए जाने वाली है। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके अलावा विशेष कार्य में सफलता पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। भगवान गणेश सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं।

ऐसे में विनायक चतुर्थी पर साधू मन से बप्पा की पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से जीवन में सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 2024 दिनांक

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01:10 मिनट पर प्रारंभ होगी। वहीं, इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12:49 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रास्त का समय रात्रि 09:07 मिनट है। साधक 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं।

मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी पर 3 योग

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन दोपहर 12:28 मिनट पर हो रहा है। इसके बाद ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही विनायक चतुर्थी पर रवि योग का भी निर्माण हो रहा है।

रवि योग शाम 05:26 मिनट तक। वहीं, दुर्लभ भद्रावास का भी संयोग विनायक चतुर्थी पर बन रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक का हर मन पूर्ण होगा। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

विनायक चतुर्थी पर चाँद नहीं देखना

धार्मिक रहस्योद्घाटन के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने वाले व्यक्ति पर कोई गलत आरोप लगाया गया है। वह कार्मिक क्लार्क का भागी बना हुआ है। ऐसे में उस दिन चंद्र दर्शन होते हैं।

हर महीने दो चतुर्थी दी जाती है

हिंदू पंचांग में हर महीने दो चतुर्थी तिथियां होती हैं। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है और पूर्णिमा के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। एक साल में लगभग 12 या 13 विनायकी चतुर्थी होती हैं। भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्य में विनायकी चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है।

पूजा विधि

श्रद्धालू इस दिन प्रातः काल दिव्य भगवान गणेशजी की पूजा एवं व्रत रखते हैं। शाम के समय गणेशजी की प्रतिमा के छोटे-छोटे फूल बेचे जाते हैं। चंद्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है और व्रत कथा पढ़ी जाती है और इसके बाद ही विनायकी चतुर्थी का व्रत होता है।

विनायकी चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपने किसी भी मन की प्रेरणा के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो अनंत विनायक चतुर्थी का व्रत करते हैं भगवान उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद गणेश देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण हैं जिनका महत्व मनुष्य से है। जिस मनुष्य के पास यह गुण होता है वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवांछित फल प्राप्त करता है।

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