अजब – गजब : 100 हेक्टेयर कागजों में बोया धान

अजब – गजब : 100 हेक्टेयर कागजों में बोया धान

जिला खाद्य अधिकारी सरगुजा चित्रकांत ध्रुव का कहना है कि गिरदावरी प्राधिकरण के पहले चरण में बिना धान की खेती वाले खसरा नंबर की जमीन में भी धान की खेती करना बताया गया है। लगभग 1900 हेक्टेयर में धान की खेती नहीं है। इस रकबे को पंजीकृत किसानों के रकबे की सूची से हटा दिया जाएगा।

द्वारा असीम सेन गुप्ता

प्रकाशित तिथि: सोम, 18 नवंबर 2024 01:05:31 पूर्वाह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: सोम, 18 नवंबर 2024 01:05:31 पूर्वाह्न (IST)

पर प्रकाश डाला गया

  1. गिरदावरी दस्तावेज़ में आई गड़बड़ी सामने आई
  2. 1900 हेक्टेयर में धान की फसल नहीं लगी
  3. सरगुजा जिले के पटवारियों ने तो कमाल ही कर दिया

नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर : राजस्व विभाग के राजस्व विभाग की ओर से कुछ भी कर सकते हैं। सरगुजा जिले के पटवारियों ने तो कमाल ही कर दिया। यहां 100 हेक्टेयर कागजों में ही पटवारियों ने धान की फसल उगा दी है। जब इन्वेस्टिगेशन ने जांच शुरू की तो यह फर्जीवाड़ा आया। समर्थन मूल्य पर धान के संबंध के साथ ही सरगुजा जिले में गिरदावरी में व्यापक स्टॉक आई है। तहसील स्तर पर गिरदावरी फाइल में 1900 हेक्टेयर में धान की फसल की पुष्टि नहीं हुई है, जबकि गिरदावरी में उक्त रकबे में भी धान की फसल की पैदावार का उल्लेख किया गया है। ब वैधानिक पंजीकृत किसानों के नाम पर रकबा अंकित किया गया है, जबकि किसानों को इस बात की जानकारी भी नहीं है कि जिस जमीन में उन्होंने मक्का की खेती की थी, उसमें धान कैसे शामिल किया गया था! सरगुजा में 1800 हेक्टेयर में अन्य फसलें लगी हैं और 100 हेक्टेयर जमीन खाली है लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सभी में धान की खेती के बारे में बताया गया है। ।। सरगुजा में 54 सहयोगियों के माध्यम से धान की प्राप्ति हो रही है।

तो 29 करोड़ का धान खाप नोट में चला गया

आंकड़ों पर गौर करें तो 1900 रकबा यानी 4750 ओक में फर्जी तरीके से धान का रकबा बताया गया है। प्रति नट 20 ओरियल के मन से 95000 ओलावृष्टि में फर्जी तरीके से खरीदा जा सकता है। इतने धान की सपोर्ट कीमत 29 करोड़ 45 लाख रुपये है। यदि यह गड़बड़ी पकड़ में नहीं आती तो बिचौलियों और खंडों का धान समिति के कर्मचारियों की याददाश्त से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता था।

उपकरण होगा रकबा , नहीं होगी संविधान

तहसील स्तर पर गिरदावरी सत्यापन में धान के रकबे में आई कमी के बाद अब सरकारी अधिकारियों की टीम भी सत्यापन कर रही है। तहसील स्तर के सत्यापन में गड़बड़ी की संभावना पर यह कार्य शुरू हो गया है। जिले के बाद राजकीय अधिकारियों का दल भी गिरदावरी का आवेदन। इन दोनों स्टेज में भी धान के रकबे में क्रमश: पांच-पांच प्रतिशत की कमी तय हो रही है।

जानिए गिरदावरी को

किसानों द्वारा अपने खेत के अलग-अलग हिस्सों में फसल की कटाई की जाती है और उसे रिकॉर्ड पर दर्ज करने के लिए गिरदावरी कहा जाता है। साल में तीन बार रबी, कोलोराडो और अन्य सीजन में गिरदावरी की जाती है।