सिटी सेंटर क्षेत्र के नौगांव की 4 हैक्टेयर से अधिक जमीन को निजी करने के मामले की प्रशासन ने एक बार फिर से जांच करना शुरू दिया है। शिकायतकर्ता ने बताया कि एसडीएम और तहसीलदार की मिली भगत से जमीन को निजी किया गया है।
By Varun Sharma
Publish Date: Fri, 22 Nov 2024 09:51:08 AM (IST)
Up to date Date: Fri, 22 Nov 2024 09:51:08 AM (IST)
HighLights
- जमीन को निजी करने के आदेश की हुई है पीएस से शिकायत
- उपायुक्त ग्वालियर संभाग ने कलेक्टर को लिखा पत्र
- नौगांव की 4.138 हैक्टेयर भूमि को निजी करने का मामला
नईदुनिया प्रतिनिधि,ग्वालियर। जिले की सिटी सेंटर तहसील में आने वाले नौगांव में बेशकीमती सरकारी जमीन को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा निजी करने के आदेश को लेकर शिकायत की गई है। यह शिकायत प्रमुख सचिव राजस्व को की गई है जिसके आधार पर ग्वालियर संभाग के उपायुक्त ने कलेक्टर ग्वालियर को नियमानुसार कार्रवाई करते हुए जांच प्रतिवेदन दिए जाने के लिए लिखा है।
इस मामले में शिकायतकर्ता ने बताया है कि पट्टे को लेकर कोई अभिलेख नहीं पाए गए, इसके बाद भी अधिकारियों ने न्यायालय के आदेश का पूर्ण पालन नहीं किया। उपायुक्त ग्वालियर संभाग की ओर से कलेक्टर को लिखा गया है कि अवर सचिव मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के माध्यम से प्राप्त आवेदन पत्र आवेदक अरुण खरे, तहसील मुरार जिला ग्वालियर (मप्र) द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की गई है।
पत्र में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व झांसी रोड विनोद सिंह व तत्कालीन तहसीलदार सिटी सेंटर शत्रुघ्न सिंह चौहान की मिली भगत से नौगांव क्षेत्र की शासन की बेशकीमती जमीन को निजी करने के आदेश की जांच की मांग की गई है।
यह की है शिकायत
अरुण खरे की ओर से की गई शिकायत में बताया गया है कि तत्कालीन तहसीलदार सिटी सेंटर शत्रुघ्न सिंह चौहान व झांसी रोड एसडीएम विनोद सिंह ने सुनियोजित तरीके से नौगांव के सर्वे क्रमांक 110-2 रकवा 1.63 हेक्टेयर व सर्वे क्रमांक 111-2 रकवा 2.508 कुल किता कुल रकवा 4.138 हेक्टेयर की भूमि बेताल सिंह, रामलखन व इंदर सिंह पुत्रगण स्व शंकर सिंह के नाम शासकीय अभिलेखों में दर्ज करने का प्रयास किया जा रहा है।
करोड़ो की इस 19 बीघा जमीन को उक्त लोगों के नाम करने का आदेश चार मार्च 2024 को जारी किया गया है। उच्च न्यायालय की रिट अपील 392-2020 के पालन मे आदेश पारित किया गया और सिर्फ उन लाइनों को कोड किया गया है जिसे न्यायालय ने संपूर्ण मामले का अवलोकन करने के बाद निष्कर्ष में पाया था कि स्वर्गीय शंकर सिंह के नाम का पट्टे के संबंध में कोई दस्तावेज ही अभिलेख नहीं है, इसलिए तहसीलदार संपूर्ण दस्तावेज निरीक्षण व दलील पेश करने पर सकारण आदेश पारित करे।
आदेश में कहा गया अपीलकर्ताओं को राहत नहीं दी जा सकती
प्रतिवादी-राज्य ने अपर आयुक्त, ग्वालियर डिवीजन द्वारा पारित आदेश दिनांक 16 जनवरी 2019 को रिट कोर्ट के समक्ष चुनौती दी और तर्क दिया कि रिट याचिका संख्या 2040/2020 के माध्यम अपीलकर्ताओं का कहना है कि पिता स्वर्गीय शंकर सिंह को पट्टा संख्या 1248/52/58 दिनांक 16-05-1958 को दिया गया था और उक्त पटटे के आधार पर उनके पिता 2009 में अपनी मृत्यु तक भूमि पर खेती करते रहे, लेकिन नामांतरण कार्रवाई में स्वर्गीय शंकर सिंह को पट्टा प्रदान करने को प्रदर्शित करने के लिए ऐसा कोई दस्तावेज़ दाखिल नहीं किया गया था।
कोर्ट ने कहा कि किसी ठोस दस्तावेज़ के अभाव में, यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि अपीलकर्ता (रिट याचिका में प्रतिवादी) या उनके पिता एमपी के अनुसार पट्टा धारक थे, जब तक राजस्व प्रविष्टियों को कानून के अनुसार सही नहीं किया जाता।