भैरव अष्टमी 2024: भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध

भैरव प्रवचनमी 22 नवंबर को है। ख़ास बात यह है कि इस बार भैरव अभ्यावेदन पर रवि योग व इंद्र योग भी बन रहे हैं, अभ्युदय अध्यापिका के व्रत से मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही साधक को विशेष कार्य में सफलता भी मिलती है।

द्वारा जोगेंद्र सेन

प्रकाशित तिथि: मंगल, 19 नवंबर 2024 12:21:55 अपराह्न (IST)

अद्यतन दिनांक: मंगल, 19 नवंबर 2024 01:42:21 अपराह्न (IST)

भैरव अष्टमी 2024: भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध
भैरव अष्टमी 22 को, व्रत करने से सभी कार्य होंगे सिद्ध

पर प्रकाश डाला गया

  1. भैरव अष्टमी पर ब्रह्म योग और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है
  2. भैरव अष्टमी पर व्रत करने से मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है
  3. तंत्र विद्या सीखने वाले साधक करते हैं भैरव की कठिन तपस्या

नईदुनिया प्रतिनिधि, स्थान। रवि योग और इंद्र योग में 22 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। भैरव अष्टमी को देवाधिदेव महादेव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल मिलता है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव देव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सफलता मिलती है।

naidunia_image

तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन पूजा करते हैं। धार्मिक विद्वानों के अनुसार इसी दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। सिद्धांत यह है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-पाठ करते हैं, दान करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

कालाष्टमी पर शुभ योग

इस दिन ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा। इसके अलावा रवि योग बनेगा। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

काल भैरव चित्रांकन में प्रारम्भ

भैरव अष्टमी में सप्ताहभर शेष है। नगर के प्रमुख भैरव मंदिर नया बाजार, सराफा बाजार, माधवगंज, स्टेशन पुल के नीचे शस्त्रागारपूर्ण हनुमान मंदिर व सिटी सेंटर स्थित महाबली मंदिर में विराजित भैरव सहित अन्य मंदिरों में भी स्थापित हुए हैं। हनुमान जी की तरह भैरवजी की प्रतिमा पर भी सिन्दूर का चोला चढ़ाया गया है। मूंग और फूलद की दाल के मंगौड़े, इमरती, कचौड़ी का भोग निर्विकारी होता है। भैरव अष्टमी के साथ 56 भोग व भंडारों का भी आयोजन।

naidunia_image

भैरव अष्टमी पर यह रहेगा शुभ उत्सव

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम छह बजे सात मिनट पर प्रारंभ होगी। इस तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम 56 मिनट पर होगा। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। इसलिए 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मासिक कृष्ण जन्मामी भी मनाएंगे।