कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू में अग्निकांड से बचने के लिए न तो हाइड्रेंट लाइन मिली और न फायर सेफ्टी एनओसी है। यहां आग से बचाव के प्रबंधन महज दिखावे के रह गए हैं। फायर एनओसी एक्सपायर हुए करीब एक साल से ज्यादा समय हो चुका है।
By Anoop Bhargav
Publish Date: Solar, 17 Nov 2024 12:43:03 PM (IST)
Up to date Date: Solar, 17 Nov 2024 12:43:03 PM (IST)
HighLights
- केआरएच के एसएनसीयू में एक साल से फायर एनओसी नहीं
- पहले भी हो चुके हैं केआरएच के एसएनसीयू में आगजनी का हादसा
- एसएनसीयू में न हाइड्रेंट लाइन व फायर सेफ्टी एनओसी
अनूप भार्गव. नईदुनिया ग्वालियर। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में आग लगने से दस नवजातों की मौत होने के बाद शनिवार को नईदुनिया टीम ने कमलाराजा अस्पताल, जिला अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था की हकीकत जानी। कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू में अग्निकांड से बचने के लिए न तो हाइड्रेंट लाइन मिली और न फायर सेफ्टी एनओसी है।
आग से बचाव के लिए अग्निशमन यंत्र जरूर लगा रखे हैं। नवजात बच्चों के लिए बनाए गए एसएनसीयू (स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट) में 80 से 90 नवजात भर्ती हैं। यहां आग से बचाव के प्रबंधन महज दिखावे के रह गए हैं। फायर एनओसी एक्सपायर हुए करीब एक साल से ज्यादा समय हो चुका है। इससे अनहोनी की आशंका पर नियंत्रण पाने की व्यवस्था पूरी तरह फेल है। प्रबंधन फायर सेफ्टी को लेकर अनदेखी कर रहा है।
प्रबंधन का दावा है कि आग से बचाव का पूरा सिस्टम अस्पताल में तैयार किया गया है, अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं। एनओसी के लिए आवेदन किया गया है। कुछ कमियां बताई गई है उनको पूरा करने के लिए एक प्राक्कलन तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है।
केआरएच: एसएनसीयू में आग से बचाव के इंतजाम नाकाफी
- कमलाराजा अस्पताल के एसएनसीयू के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा गार्ड तैनात था। हर आने जाने वाले से पूछताछ के बाद ही अंदर जाने दे रहा था। अंदर प्रसूता व स्वजन खड़े थे, जो अपने नवजात शिशु को भर्ती करने या फिर भर्ती नवजात का हालचाल पूछ रहे थे। एसएनसीयू के अंदर वार्ड के गेट पर जूनियर महिला डाक्टर पहुंचने वाले नवजात की जांच कर रही थीं।
- एसएनसीयू में प्रवेश तो नहीं करने दिया, पर अंदर झांककर देखा तो वार्ड में कुछ अग्निशमन यंत्र रखे दिखे। हाइड्रेंट लाइन न अलार्म: केआरएच के एसएनसीयू में आग से बचाव के इंतजाम नाकाफी है। यहां पर हाइड्रेंट लाइन और अलार्म तक की व्यवस्था नहीं है। साथ ही अन्य फायर सेफ्टी मानक के अनुरूप व्यवस्थाएं नहीं है। इसलिए फायर एनओसी के लिए आवेदन करने पर कमियों को दूर करने को कहा गया। हालांकि निकासी के लिए अलग से एक दरवाजा भी है।
- इतना ही नहीं पीआइसीयू वार्ड में भी फायर सेफ्टी का कोई इंतजाम नहीं हैं, जबकि पीआइसीयू के अंदर एक पलंग पर दो से तीन बच्चे हमेशा भर्ती रहते हैं। वहीं एसएनसीयू में 80 से 90 नवजात भर्ती रहते हैं।
ये हो चुके हैं हादसे
केआरएच के एसएनसीयू में वर्ष 2023 में शार्ट सर्किट से आग लग गई थी। इसके साथ ही कई बार इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन अब तक पुख्ता इंतजाम नहीं कर सका है। प्रबंधन का कहना है कि शासन को 50 लाख रुपये का प्रस्ताव एसएनसीयू में व्यवस्था को बेहतर करने भेजा गया है।
सीधी बात: सुधीर सक्सैना, अधीक्षक केआरएच
सवाल: एसएनसीयू की फायर सेफ्टी एनओसी लंबे समय से एक्सपायर है, एनओसी मिलने में देरी क्यों?
जवाब: एनओसी के लिए आवेदन किया था, कुछ कमियां बताई गई थी उनको पूरा करने के लिए शासन प्राक्कलन को भेजा गया है, जिसे मंजूरी नहीं मिली है।
सवाल: एसएनसीयू जैसी इकाई में अग्निकांड से बचाने के इंतजामों में देरी क्यों?
जवाब: ऐसा नहीं है, व्यवस्थाएं पूरी है, बस इंतजार शासन को भेजे प्राक्कलन के मंजूरी की है।
सवाल: अगर घटना हुई तो बचाव के क्या इंतजाम हैं।
जवाब: एसएनसीयू में अग्निशमन यंत्र हैं साथ ही आपातकालीन तीन प्रवेश द्वार हैं
सवाल: फायर सेफ्टी के अलावा हाइड्रेंट लाइन की व्यवस्था भी नहीं है।
जवाब: फायर सेफ्टी प्लान तैयार कर प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है।