बिहार की गैंग का पर्दाफाश, फर्जी दस्तावेज से खाता खुलवाकर साइबर ठगों को देते थे

पुलिस कमिश्नर हरीनारायणाचारी मिश्र ने बताया तीन दिन पहले एक युवक और युवती मोबाइल की दुकान पर सिम लेने पहुंचे थे। हनुमानगंज थाना पुलिस को मुखबिर से जानकारी मिली थी, आरोपितो के पास अलग-अलग पते एवं व्यक्तियों के आधार कार्ड थे। आधार कार्ड पर इन्हीं युवक-युवती की फोटो तो एक सी है, लेकिन नाम-पता अलग-अलग था।

By Anand dubey

Publish Date: Sat, 16 Nov 2024 10:25:30 PM (IST)

Up to date Date: Sat, 16 Nov 2024 10:25:30 PM (IST)

बिहार की गैंग का पर्दाफाश, फर्जी दस्तावेज से खाता खुलवाकर साइबर ठगों को देते थे

HighLights

  1. बैंक खाता उपलब्ध कराने के लिए सरगना वसूलता था 10 हजार।
  2. देश भर के कई शहरों में की ठगी, सभी बहुत कम पड़े लिखे है।
  3. सभी सात आरोपित बिहार के रहने वाले हैं। एक महिला भी।

नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। फर्जी दस्तावेज तैयार कर उनसे देश के विभिन्न शहरों की बैंकों में खाते खुलवाकर साइबर ठगों को कमीशन पर खाते उपलब्ध कराने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। सभी सात आरोपित बिहार के रहने वाले हैं। इनमें एक महिला भी शामिल है।

ताज्जुब की बात यह है कि इनमें दो युवक चौथी-पांचवीं तक ही पढ़े हैं। इनके पास से पुलिस ने बड़ी संख्या में आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, पेन कार्ड, सिम कार्ड, 20 मोबाइल फोन, दो प्रिंटर, एक लैपटाप, एक पेनड्राइव एवं हिसाब किताब का रजिस्टर बरामद किया है।

पुलिस कमिश्नर हरीनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि हनुमानगंज थाना पुलिस को मुखबिर से पता चला था कि तीन दिन पहले एक युवक और युवती मोबाइल की दुकान पर सिम लेने पहुंचे थे। उनके पास अलग-अलग पते एवं व्यक्तियों के आधार कार्ड थे। पते की तस्दीक करने पर पता चला कि आधार कार्ड पर इन्हीं युवक-युवती की फोटो तो एक सी है, लेकिन नाम-पता अलग-अलग था।

सभी बिहार के रहने वाले हैं

फर्जीवाड़ा के साक्ष्य मिलने पर पुलिस टीम ने इब्राहिमगंज के एक फ्लैट पर छापा मारा। वहां मूलत: बिहार के रहने वाले सात लोग मिले। इनकी पहचान 26 वर्षीय शशिकांत उर्फ मनीष, 21 वर्षीय सपना उर्फ साधना, 20 वर्षीय अंकित साहू उर्फ सुनील, 19 वर्षीय कौशल माली उर्फ पंकज, 20 वर्षीय रोशन कुमार, 19 वर्षीय रंजन कुमार उर्फ विनोद एवं 18 वर्षीय मोहम्मद टीटू उर्फ विजय के रूप में हुई। रंजन कुमार पांचवीं एवं टीटू चौथी तक पढ़ा है।

साइबर ठगों को 10 हजार में उपलब्ध कराता था बैंक खाता

गिरोह का सरगना शिशकांत है। वह फर्जी दस्तावेज से खाता खुलवाने पर अपने साथियों को दो हजार रुपये देता था। उसके बाद वह साइबर ठगों को 10 हजार रुपये में एक खाता ठगी की राशि ठिकाने के लिए उपलब्ध कराता था। वह स्वंय भी इन खातों का उपयोग अपनी गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर आम लोगों को लोन दिलाये जाने के नाम पर एवं गेमिंग के जरिये साइबर ठगी करता था। पुलिस से बचने के लिए तीन-चार माह में शहर एवं लड़कों को बदल देते थे।ये लोग अभी तक लखनऊ, इंदौर, हैदराबाद में इस प्रकार से फर्जी बैंक खाता खुलवा कर कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।

गिरोह में किसका क्या काम

शशिकांत देवघर झारखंड से आधार कार्ड का डाटा लेता था। वह उन आधार कार्ड को चेक करता था कि किस आधार का पेनकार्ड बना है अथवा नहीं। जिनका पेन कार्ड नहीं बना होता है उसका पेनकार्ड वह आफलाइन बनवाता था। इसके बाद सपना, अंकित, कौशल माली, रोशन, रंजन एवं मोहम्मद टीटू की उम्र के आधार पर उन आधार पेन कार्ड में उनकी फोटो को लेपटाप में फोटोशाप के माध्यय से परिवर्तित कर देता था।

इसके बाद कलर प्रिंटर से इन फर्जी तरीके से तैयार किये गये आधार एवं पेन कार्ड को प्रिंट कर लेता था। फर्जी रूप से तैयार किये गये आधार पेन कार्ड पर अपने साथियों के फोटो लगाकर भोपाल शहर में अलग-अलग दुकानों से सिमकार्ड लेते थे फिर बैंकों में जाकर फर्जी बैंक खाता खुलवाते थे ।