फर्जी हस्ताक्षर से कब्जा प्रमाण पत्र तैयार, नामांतरण से खुला राज
पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने बताया कि उन्हें इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब मकान कल्याण सुंदर अपार्टमेंट के दस्तावेज़ उनके पास नामांतरण के लिए आए। दस्तावेज की जांच में पता चला कि पिंकी मतलानी और उनके पति भरत मतलानी ने अपार्टमेंट साम्ब शिवम पाठक निवासी बैमा को एक करोड़ 44 लाख 80 हजार रुपये में बेचा है।
By Yogeshwar Sharma
Publish Date: Solar, 17 Nov 2024 12:39:51 AM (IST)
Up to date Date: Solar, 17 Nov 2024 12:44:58 AM (IST)
नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। जूना बिलासपुर हल्का पटवारी उमेंद्र राम बंजारे के नाम से फर्ज़ी हस्ताक्षर कर कब्जा प्रमाण पत्र तैयार कर अपार्टमेंट बेच दिया। घटना का पता तब चला जब खरीदार कब्जा लेने के बाद नामांतरण कराने पटवारी कार्यालय पहुंचा। पटवारी ने अपनी सील पर दूसरे का हस्ताक्षर देख हैरान रह गया। दस्तावेज पर दिए नंबर पर काल करने पर किसी ने फोन ही नहीं उठाया। खरीदार की माने तो विक्रेता बाहर रहते हैं। जिससे उन्होंने सौदा किया, तो वह आए और सौदा कर चले गए। पटवारी ने सिटी कोतवाली थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई है।
पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने बताया कि उन्हें इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब मकान कल्याण सुंदर अपार्टमेंट के दस्तावेज़ उनके पास नामांतरण के लिए आए। दस्तावेज की जांच में पता चला कि पिंकी मतलानी और उनके पति भरत मतलानी ने अपार्टमेंट साम्ब शिवम पाठक निवासी बैमा को एक करोड़ 44 लाख 80 हजार रुपये में बेचा है। नामांतरण के दस्तावेज व कब्जा पत्र को देखने के बाद पता चला कि सील तो उनका है, लेकिन कब्जा पत्रक में जो हस्ताक्षर है, वह उनका नहीं है। कब्जा पत्र कहां से और किसने बनवाया, जब पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने खरीदार साम्ब शिवम पाठक से पूछा तो पता चला कि यह कब्जा पत्र उन्हें पिंकी व उनके पति भरत मतलानी ने बनाकर दिया है। फर्ज़ी हस्ताक्षर का पता चलने पर पीड़ित ने सिटी कोतवाली पहुंचकर फर्ज़ी हस्ताक्षर से कब्जा पत्र बनाने की शिकायत की है। मामले में पुलिस जांच के बाद अपराध दर्ज करने का हवाला दे रही है।
फोन काल का कोई जवाब नहीं
पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने धोखाधड़ी की जानकारी लगते ही मामले की सच्चाई जानने के लिए पिंकी मतलानी व उनके पति भरत मतलानी के दोनों मोबाइल नंबरों पर फोन किया, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। दोनों तक संपर्क न होने पर पीड़ित ने लिखे पते पर पता तलाश कराया, लेकिन विक्रेता पिंकी व उनके पति का पता नहीं चला।
जांच और कार्रवाई की मांग
पटवारी ने घटना का पता चलते ही तहसीलदार व अन्य अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया और उनके निर्देश पर सिटी कोतवाली थाने पहुंचे। पटवारी उमेंद्र राम बंजारे ने पुलिस से दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और फर्ज़ीवाड़े का खुलासा करने की मांग की है। वहीं पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
वर्जन
फर्जी हस्ताक्षर कर कब्जा पत्र बनाने का मामला गंभीर है। यह पहला मामला सामने आया है। ऐसे और मामले न हो इसके लिए पटवारियों को तत्काल थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराने निर्देशित किया है। पुलिस मामले में आगे की जांच कर राजफाश करेगी।
मुकेश देवांगन, तहसीलदार बिलासपुर
ये भी पढ़े…
तिरुपति में रूम बुक कराने के नाम पर डाक्टर से 90 हजार की धोखाधड़ी
शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डा. किरण वासुदेव देवरस से जालसाजों ने तिरुपति में रूम बुक कराने के नाम 90 हजार 356 रुपये की धोखाधड़ी की है। डाक्टर ने इसकी शिकायत सिविल लाइन थाने में की है। इस पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर मामले को जांच में लिया है।
तिलक नगर में रहने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ किरण वासुदेव देवरस ने धोखाधड़ी की शिकायत की है। डाक्टर ने बताया कि उन्होंने एक नवंबर को तिरुपति देवसस्थानम में कमरा बुक कराने के लिए काल किया था। इस दौरान उन्हें मठ में कमरा उपलब्ध नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद डाक्टर ने इंटरनेट पर मठ की वेबसाइट सर्च की। इस दौरान वराह स्वामी मठ की साइट ओपन हुई। उसमें दिए नंबर पर काल करने पर पहली बार कोई रिप्लाई नहीं मिला। थोड़ी ही देर बाद उसी नंबर से डाक्टर के मोबाइल पर काल आया। डाक्टर ने रूम बुक करने के लिए कहा तो ढाई हजार प्रति रूम और दर्शन के लिए 300 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से उनसे 25 हजार 800 रुपये मांगे गए। इसके लिए डाक्टर के मोबाइल पर एक क्यूआर कोड भेजा गया। डाक्टर ने अपने मोबाइल से क्यूआर कोड स्केन कर आनलाइन रुपये भेज दिए। इसके कुछ ही देर बाद उनसे सिक्यूरिटी मनी के नाम पर 15 हजार 200 रुपये और मांगे गए। डाक्टर ने गलती से केवल 15 हजार रुपये ट्रांसफर किए। इस पर जालसाजों ने पूरी रकम एक बार ही भेजने के लिए कहा। पहले भेजे गए रुपयों को वापस कर देने का आश्वासन दिया गया। इस पर डाक्टर ने पूरी रकम आनलाइन ट्रांसफर कर दी। जालसाजों ने उनके 15 हजार रुपये वापस करने के लिए वीडियो काल करने के लिए कहा। साथ ही गूगल पे के ट्रांजेक्शन आइडी में जाकर 17178 नंबर टाइप करने के लिए कहा। इस दौरान जालसाजों ने डाक्टर को अपनी बातों में उलझाकर रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। दूसरी बार भी उनसे उतनी ही रकम ट्रांसफर कराया। इसके बाद केवल 720 रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा तो डाक्टर को शंका हुई। उन्होंने अपने गूगल पे को ब्लाक करा लिया। इसके बाद उन्होंने तत्काल ही नेशनल क्राइम पोर्टल पर जाकर शिकायत की। अब डाक्टर ने मामले की शिकायत सिविल लाइन थाने में की है। इस पर पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट की भरमार
जालसाजों ने बड़ी कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बना रखी है। इसके अलावा सरकारी संस्थान के नाम से भी फर्जी वेबसाइट हैं। मंदिर और धार्मिक ट्रस्ट के मिलते जुलते वेबसाइट भी जालसाजों ने बना लिए हैं। ये इतने मिलते-जुलते हैं कि लोगों को भनक तक नहीं लगती कि फर्जी वेबसाइट में वे पहुंच गए। यहां पर हेल्प डेस्क के नाम पर मोबाइल नंबर दिए होते हैं। इसके कारण लोग आसानी से जालसाजी के शिकार हो जाते हैं।
एसीसीयू के प्रभारी एएसपी अनुज कुमार ने बताए सतर्कता के उपाय
– किसी भी कंपनी या संस्थान की वेबसाइट को सर्च करने से पहले जानकारी जरूर लें। एचटीपीपीएस लगी वेबसाइट पर ही सर्च करें।
लिंक से भेजे गए किसी भी एप को मोबाइल पर डाउनलोड नहीं करना चाहिए। केवल सेवा प्रदाता के एप को ही मोबाइल पर डाउनलोड किया जाना चाहिए। बैंक या कोई भी संस्थान लिंक भेजकर एप डाउनलोड नहीं कराता।
– कोई भी संस्थान बैंक की जानकारी नहीं मांगता। अगर कोई आपके मोबाइल पर लिंक भेजकर एप डाउनलोड करने कहता है इससे बचें। ऐसे लोग जालसाज हो सकते हैं। लेनदेन करने से पहले लोगों की जानकारी लें और आसपास के लोगों से भी इस संबंध में चर्चा कर जरूरी जानकारी ले लें।
– अगर कोई इनाम का लालच दे रहा है तो इसे नजर अंदाज करें। साथ ही बिना मेहनत के रुपये का लालच देने वाले जालसाजी कर रुपये ऐंठने वाले हो सकते हैं। ऐसे लोगों से किसी भी तरह का लेनदेन न करें। घर बैठे लोन देने वाले भी जालसाजी करते हैं। ऐसे लोगों से रुपये लेने से बचना चाहिए।

