Sach ke Sathi Seniors: जमशेदपुर और रांची के लोगों को दी Reality Checking की ट्रेनिंग, डीपफेक वीडियो को लेकर किया जागरूक

Sach ke Sathi Seniors: जमशेदपुर और रांची के लोगों को दी Reality Checking की ट्रेनिंग, डीपफेक वीडियो को लेकर किया जागरूक

‘सच के साथी- सीनियर्स’ कार्यक्रम के तहत झारखंड के जमशेदपुर और रांची में सीनियर सिटिजंस को डिजिटल सेफ्टी और फैक्ट चेकिंग के बुनियादी टिप्स दिए गए। कार्यक्रम में साइबर फ्रॉड, एआई के खतरों और चुनावी जानकारी को सही तरीके से जांचने की सलाह दी गई।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Sat, 09 Nov 2024 10:24:25 PM (IST)

Up to date Date: Sat, 09 Nov 2024 10:27:46 PM (IST)

झारखंड के चुनावों में जागरूकता बढ़ाने की अपील की गई।

HighLights

  1. विश्‍वास न्‍यूज ने सीनियर सिटिजंस को डिजिटल सेफ्टी सिखाई
  2. पल्लवी मिश्रा ने डीपफेक वीडियो और AI टूल्स की जानकारी दी
  3. साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय औफ AI के बारे में बताया गया

जमशेदपुर/रांची। विश्‍वास न्‍यूज के मीडिया साक्षरता कार्यक्रम ‘सच के साथी- सीनियर्स’ के तहत 9 नवंबर को झारखंड के जमशेदपुर और रांची के लोगों को डिजिटल सेफ्टी टिप्स के साथ ही फैक्ट चेकिंग की बुनियादी ट्रेनिंग दी गई। इस कार्यक्रम का आयोजन मुख्य रूप से सीनियर सिटिजंस के लिए हुआ था।

जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग ने जमशेदपुर के कनेलाइट होटल में इस कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें विश्‍वास न्‍यूज की डिप्टी एडिटर एवं फैक्ट चेकर पल्लवी मिश्रा ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर प्रकाश डालते हुए डीपफेक वीडियो के प्रति लोगों को सचेत किया।

डीपफेक वीडियो और एआई टूल्स

पल्लवी ने कहा कि आजकल इस तरह के कई ऐप्स आ गए हैं, जिनसे आसानी से किसी के आवाज की नकल करके डीपफेक वीडियो बनाए जा सकते हैं या किसी का चेहरा बदला जा सकता है। इनकी पहचान के लिए भी कुछ एआई टूल्स जैसे ट्रू मीडिया, हाइव मॉडरेशन या इल्यूमिर्नाती की मदद से एआई निर्मित इमेज या वीडियो की जांच की जा सकती है। साथ ही उन्होंने लोगों को फैक्ट चेकिंग टूल्स की बेसिक जानकारी दी।

साइबर फ्रॉड से बचने के तरीके

कार्यक्रम के दौरान जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट) मयंक शुक्ला ने लोगों को साइबर फ्रॉड से बचने के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आजकल साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट, फिशिंग लिंक्स या बैंकिंग फ्रॉड के जरिए लोगों को ठग रहे हैं।

naidunia_image

उन्होंने कहा कि कोई सरकारी विभाग जैसे साइबर क्राइम, पुलिस या सीबीआई इस तरह से ऑनलाइन जांच नहीं करता है। इस तरह की कॉल या फ्रॉड सामने आने पर 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर शिकायत करें। इसके अलावा उन्होंने झारखंड में होने वाले चुनाव को देखते हुए लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया।

रांची के लोगों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग आयोजित

9 नवंबर को ही झारखंड के रांची के लोगों के लिए भी वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए लोगों को सच, राय और झूठ में अंतर करना समझाया। उन्होंने एआई के फायदे और नुकसान बताते हुए कहा कि आजकल एआई टूल्स की मदद से किसी अन्य के चेहरे पर सेलिब्रेटी का चेहरा लगाकर डीपफेक वीडियो को वायरल किया जा रहा है। रश्मिका मंदाना और आलिया भट्ट का उदाहरण देते हुए उन्होंने इसे पहचानने के तरीके बताए। उन्होंने फैक्ट चेकिंग टूल गूगल लेंस के जरिए तस्वीर की पहचान करने की ट्रेनिंग भी दी।

निजी जानकारी नहीं करें शेयर

कार्यक्रम में सीनियर सब एडिटर एवं फैक्ट चेकर ज्योति कुमारी ने लोगों को साइबर फ्रॉड से सावधान रहने की सलाह देते हुए कहा कि ओपन वाईफाई का प्रयोग करने से बचाना चाहिए। साथ ही किसी के साथ अपना ओटीपी या निजी जानकारी शेयर नहीं करना चाहिए। ज्योति ने बताया कि चुनाव के दौर में अक्सर लोग फर्जी या भ्रामक जानकारी के साथ वीडियो या तस्वीरें शेयर करते हैं। हमारा फर्ज है कि हम उसे पहले जांचें और फिर उस पर कोई प्रतिक्रिया दें।

10 नवंबर को रांची व धनबाद में होगा सेमिनार

9 नवंबर को झारखंड के अलावा महाराष्ट्र के अहिल्यानगर के लोगों के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया था। 10 नवंबर को झारखंड के रांची व धनबाद में सेमिनार और धनबाद के लोगों के लिए वेबिनार का आयोजन भी किया जाएगा। इसके अलावा 10 नवंबर को ही महाराष्ट्र के ठाणे के लोगों के लिए भी ऑनलाइन ट्रेनिंग का आयोजन किया जाएगा।

15 राज्‍यों में कार्यक्रम

झारखंड और महाराष्ट्र से पहले यह कार्यक्रम राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी आयोजित किया जा चुका है। विश्‍वास न्‍यूज अपने मीडिया लिटरेसी अभियान के तहत 15 राज्यों के 50 शहरों में वरिष्ठ और अन्य नागरिकों को फर्जी व भ्रामक पोस्ट को पहचानने के तरीकों के बारे में प्रशिक्षण दे रही है। गूगल न्यूज इनीशिएटिव की पहल पर MICA के सहयोग से विश्वास न्यूज के इस अभियान का उद्देश्य समाज को भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिए तैयार करने के साथ उन्हें फैक्ट चेक की बुनियादी जानकारी से रूबरू कराना है।

‘सच के साथी-सीनियर्स’ अभियान के बारे में

‘सच के साथी-सीनियर्स’ विश्वास न्यूज का जागरूकता के लिए प्रशिक्षण और मीडिया साक्षरता अभियान है। विश्वास न्यूज जागरण समूह की फैक्ट चेकिंग टीम है, जो अब तक करीब छह करोड़ से अधिक नागरिकों को जागरूकता अभियान से जोड़ चुकी है। विश्वास न्यूज टीम इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (आईएफसीएन) और गूगल न्यूज इनीशिएटिव के साथ फैक्ट चेकिंग और मीडिया लिटरेसी पर 2018 से काम कर रही है।

admin

admin

अपनी टिप्पणी दे

हमारे न्यूज़लेटर के लिए साइन