बैंक बना जंजाल: कागजों की दौड़ में टूट रही बुजुर्गों की कमर

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बैंकों में पर्याप्त कर्मचारियों की कमी और अव्यवस्थित काउंटर के चलते पेंशनरों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। कई बार एक ही काउंटर पर दर्जनों लोगों का काम होता है, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

By Yogeshwar Sharma

Publish Date: Sat, 16 Nov 2024 01:44:10 AM (IST)

Up to date Date: Sat, 16 Nov 2024 01:44:10 AM (IST)

कुछ शाखाओं में कुर्सी की व्यवस्था

नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। बैंकों में इन दिनों पेंशनरों के लिए जीवित प्रमाण पत्र जमा करना किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं। घंटों कतार में खड़े होकर कमर व पीठ दर्द से जूझते बुजुर्गों की तकलीफें बैंक प्रशासन की अनदेखी के चलते और बढ़ गई हैं। एसबीआई, पीएनबी, सेंट्रल बैंक समेत अधिकांश शाखाओं में भीड़ और अव्यवस्था ने पेंशनरों की हालत खराब कर दी है।

बैंकों में पर्याप्त कर्मचारियों की कमी और अव्यवस्थित काउंटर के चलते पेंशनरों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ रहा है। कई बार एक ही काउंटर पर दर्जनों लोगों का काम होता है, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। फिर भी उच्चाधिकारियों की ओर से समस्या के समाधान के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। सुबह 10 बजते ही बैंक शाखाओं में बुजुर्गों की भीड़ जुट रही है। कोई रिक्शा या आटो से पहुंच रहा तो कोई पैदल या साइकिल चलाते। किसी के साथ परिवार के सदस्य हैं तो कोई पत्नी संग पहुंच रहा। एकदम अकेला तो कोई मित्र या पडोसियों के साथ सहायता मांगकर। किसी तरह जीवन प्रमाण पत्र जमा हो जाए तो दिसंबर से नियमित पेंशन मिले। हर साल एक नवंबर से 30 नवंबर के बीच बैंकों में जीवत प्रमाण पत्र जमा होता है। हालांकि इसे च्वाइस सेंटर और आनलाइन मोबाइल के माध्यम से भी किया जा सकता है। किंतु जागरूता के अभाव में अधिकांश पेंशनर बैंक आकर जमा करना ही सुरक्षित मानते हैं।

बुजुर्गों ने गिनाई अपनी समस्या

अन्नपूर्णा कालोनी निवासी 74 वर्षीय बुजुर्ग राव गुरु का कहना है कि डिजिटल इंडिया के नाम पर हमें कागज लेकर दौड़ाया जा रहा है। घंटों लाइन में खड़े होने के बाद बैंक कर्मचारी लंच टाइम का बहाना बनाकर हमें और इंतजार करने को कहते हैं। वहीं 68 वर्षीय माया देवी कहती हैं कि, हमें घर से कलेक्टोरेट पहुंचने में ही एक घंटा लगता है। फिर यहां खड़े-खड़े पैर जवाब दे देते हैं। बैंक में कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है।

डिजिटल का दिखावा, असल में तकलीफें

डिजिटलीकरण का दावा करने वाले बैंक, पेंशनरों के लिए कोई डिजिटल सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। बुजुर्गों को आनलाइन प्रक्रिया समझाने या मदद करने के बजाय बैंककर्मी उन्हें काउंटर पर दस्तावेज लेकर खड़ा रहने को कहते हैं, या फिर फार्म नहीं है बोल देते हैं। दस्तावेज में कमी जैसे कारण बताकर लौटा भी दिया जाता है।

क्या चाहते हैं बुजुर्ग:

00 काउंटर पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।

00 बैठने और पीने के पानी की उचित व्यवस्था हो।

00 आनलाइन सुविधा को सरल और सुलभ बनाया जाए।

00 वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग काउंटर स्थापित हो।

00 डिजिटल कामकाज में प्रिंटिंग भी स्कैन से लें।

00 फोटोकापी के नाम पर अनावश्यक परेशान न करें।

00 मोबाइल से फोटो खींचकर भी आइडी प्रूफ स्वीकार करें।

रेलवे एसबीआइ शाखा में भारी भीड़

रेलवे एसबीआइ शाखा में भी भारी भीड़ उमड़ रही है। हालांकि, शाखा प्रबंधक आशीष गौतम ने कहा कि स्टाफ की कमी के बाद भी शांतिपूर्ण व्यवस्था है। अधिकांश स्टाफ को पेंशनरों के काम में लगा दिया है। बुजुर्गों के लिए कुर्सी तथा पीने के लिए पानी की समुचित व्यवस्था है। बुजुर्गों का कहना है कि बाकी बैंकों में भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।

वर्जन

जीवन प्रमाण एप के माध्यम से पेंशनर घर बैठे मोबाइल से जीवित प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं। घबराने या चिंता करने की बात नहीं है। जो बुजुर्ग शाखा नहीं आ सकते उन तक बैंककर्मी घर तक पहुचेंगे। बैंक बुजुर्ग अपने साथ एक या दो सदस्य को लेकर आते हैं, जिससे भीड़ बढ़ती है।

ललित अग्रवाल, समन्वयक

बैंकर्स क्लब बिलासपुर

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