फल फूल रहा अवैध ईंटों का कारोबार, नहीं हो रही कार्रवाई

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ईंट भट्टा संचालकों द्वारा नदी किनारे ईट भट्टों का संचालन किया जा रहा है। ग्राम पंचायत सिंघनसरा, मोंहदी, डिक्सी में बोराई नदी के किनारे अवैध रूप से ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं। ग्राम पंचायत पोरथा, डोडक़ी, नवापारा, रगजा, मसनिया, देवरमाल, असौंदा, बरपाली में अवैध ईंट भट्टों का संचालन हो रहा है। ऐसा नहीं हैं कि इसकी जानकारी खनिज विभाग एवं राजस्व विभाग को नहीं है।

By komal Shukla

Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 12:14:43 AM (IST)

Up to date Date: Thu, 04 Jul 2024 12:14:43 AM (IST)

नईदुनिया न्यूज, सक्ती: सक्ती जिला मुख्यालय सहित नगर के चारों ओर अवैध ईंट भट्टों का कारोबार जोरों पर है। ईंट भट्ठा संचालक शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बिना लाइसेंस के कई ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं। ईंट भट्ठों के संचालक मोटी रकम कमाई कर रहे हैं। इससे शासन प्रशासन को लाखों रुपये की राजस्व क्षति हो रही है। जिले में ईट भट्टे के कारोबार करने की होड़ मची हुई है।

जबकि शासन के निर्देशानुसार ईंट भट्टे लगाने के लिए बाकायदा शासन से अनुमति की आवश्यकता है मगर अनुमति नहीं ली जाती । ईट भट्टों में लकड़ी और कंडे का उपयोग न कर चिमनी और कोयले से इन्हें पकाया जाता है। दर्जनों ईट भट्टे नियम विरूद्ध संचालित हो रहे हैं।

सक्ती जिला मुख्यालय अंतर्गत हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी हरेठी में प्रशासन की नाक के नीचे अवैध ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है और राजस्व और खनिज विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बने बैठे हैं। यहां के लोगों का कहना है कि उनकी मिली भगत से अवैध ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। क्षेत्रवासियों ने इन पर कार्रवाई की मांग की है।

आज तक नहीं हुई ठोस पहल

प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा आज तक इन अवैध कारोबारियों के विरूद्ध बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। इससे अवैध ईंट बनाने वालों के हौसले बुलंद हैं। कभी कभार छोटी मोटी कार्रवाई होती है मगर बड़े पैमाने पर ईंटों का कारोबार करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से प्रतिवर्ष ईंट भट्टा संचालकों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई ठेकेदारों द्वारा एक जगह की अनुमति लेने के बाद कई जगहों पर ईंट भट्ठा संचालित किया जाता है। ऐसे ईंट भट्ठों को बंद कराने में खनिज व राजस्व विभाग के अधिकारी अक्षम साबित हो रहेहैं।

इन अवैध ईटों को पकाने के लिए अधिकांश जगहों पर अवैध कोयला खरीदी कर इसका उपयोग ईट भट्टा संचालकों द्वारा किया जाता है। साथ ही कई जगहों पर बड़े-बड़े वृक्षों की भी बलि चढ़ा दी जाती है। नदी किनारे मिट्टी को काटकर नदी को क्षति पहुंचाई जा रही है।

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