शहर अंतर्गत छोटे-बड़े 27 स्लम एरिया हैं, जो हर साल बरसात के समय डायरिया के लिए बेहद संवेदनशील रहते हैं। सरकारी अस्पतालों से मिल रही जानकारी के मुताबिक शहर के तालापारा, तारबाहर, अटल आवास, सिरगिट्टी, रेलवे परिक्षेत्र, तिफरा और शहर की सीमा से लगे गांव से उल्टी-दस्त के मामले सामने आ रहे हैं।
By Yogeshwar Sharma
Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 12:46:58 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 04 Jul 2024 12:46:58 AM (IST)
नईदुनिया न्यूज, बिलासपुर। बरसात के साथ ही संक्रमित बीमारियों की आशंका बढ़ गई है। सबसे बड़ी चिंता डायरिया फैलने की है। वैसे भी अब उल्टी-दस्त से पस्त लोग अस्पताल पहुंचने लगे हैं। सिम्स और जिला अस्पताल में बीते एक सप्ताह के भीतर उल्टी-दस्त के मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि ये सभी मरीज शहर के अलग-अलग स्लम क्षेत्र से आ रहे हैं। साफ है कि यदि इन क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी भी क्षेत्र में डायरिया फैल सकता है।
शहर अंतर्गत छोटे-बड़े 27 स्लम एरिया हैं, जो हर साल बरसात के समय डायरिया के लिए बेहद संवेदनशील रहते हैं। सरकारी अस्पतालों से मिल रही जानकारी के मुताबिक शहर के तालापारा, तारबाहर, अटल आवास, सिरगिट्टी, रेलवे परिक्षेत्र, तिफरा और शहर की सीमा से लगे गांव से उल्टी-दस्त के मामले सामने आ रहे हैं। चिकत्सकों के मुताबिक ज्यादातर मामले दूषित पानी पीने और दूषित भोजन करने की वजह से डायरिया से संक्रमित हो रहे हैं। हालांकि अभी भी किसी भी क्षेत्र में स्थिति नहीं बिगड़ी है। ऐसे में इन क्षेत्रों में ध्यान देना जरूरी हो गया है। समय रहते मरीजों की पहचान करने व दूषित पानी के तमाम स्त्रोत को बंद किया जाए तो डायरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है।
शरीर में सोडियम-पोटेशियम की कमी
सिम्स के डा. पंकज टेम्भूर्णिकर ने बताया कि अधिक दस्त आने से शरीर में सोडियम और पोटेशियम की कमी हो रही है। इससे शरीर का तापमान बढ़ने के साथ ही शरीर में दर्द, कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत और झटके आने लगते हैं। उल्टी-दस्त शुरू होते ही पानी में नींबू, चीनी और एक चुटकी नमक मिला घोल तैयार कर धीरे-धीरे पीते रहें। छांछ और नारियल पानी का सेवन भी कर सकते हैं।
इससे करें परहेज
– खुले में रखे कटे फल न खाएं।
– बासी भोजन के सेवन से बचें।
– खुले में रखा पानी पीने से बचें।
– बच्चों को बोतल में दूध न दें।
ऐसे करें बचाव
– साबुन से अच्छी तरह हाथ धोकर खाएं।
– पानी अच्छी तरह उबालकर ही पीएं।
– बच्चों की दूध की बोतल हर बार उबालें।
– खाली पेट धूप में बाहर न निकलें