एक्स को टक्कर वाले ‘Koo’ ने कहा- गुडबाय, 2.1 मिलियन डेली एक्टिव यूजर्स वाला ऐप इसलिए हो रहा बंद

एक्स को टक्कर वाले ‘Koo’ ने कहा- गुडबाय, 2.1 मिलियन डेली एक्टिव यूजर्स वाला ऐप इसलिए हो रहा बंद

Koo Shutting Down: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू बंद हो रहा है। यह प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल का विकल्प बन रहा था। इसके फाउंडर्स अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने लिंक्डइन पर इसकी जानकारी दी।

By Kushagra Valuskar

Publish Date: Wed, 03 Jul 2024 05:14:01 PM (IST)

Up to date Date: Wed, 03 Jul 2024 05:45:37 PM (IST)

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू बंद हो रहा है।

HighLights

  1. साल 2020 में हुई थी कू एप की शुरुआत
  2. फाउंडर्स ने बंद करने की जानकारी दी।
  3. मर्जर की लेकर चल रही बातचीत रही नाकाम।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। Koo Shutting Down: भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘कू’ अब बंद हो रहा है। कंपनी के फाउंडर्स अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने इसका एलान किया। इस एप को ट्विटर (अब एक्स) को टक्कर देने के लिए लॉन्च किया गया था।

2023 में कई कर्मचारियों को निकाला था

फाउंडर्स ने साझेदारी फेल होने, अप्रत्याशित पूंजी बाजार और हाई कॉस्ट के कारण Koo को बंद करने का फैसला लिया है। इससे पहले कंपनी ने 2023 में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की थी।

कंपनी के फांउडर्स ने कुछ एसेट्स को बेचने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हमें कुछ एसेट्स को देश में सोशल मीडिया के सेक्टर में प्रवेश करने के लिए बड़ी दृष्टि रखने वाले किसी शख्स के साथ साझा करने में प्रसन्नता होगी।

कम समय में ग्लोबल लेवल प्रोडक्ट बनाया

कू के फाउंडर्स ने कहा, ‘हमनें एक्स हैंडल की तुलना में कम समय में ग्लोबल लेवल पर प्रोडक्ट बनाया, जिसमें बेहतर सिस्टम, एल्गोरिदम और शक्तिशाली स्टेकहोल्डर फर्स्ट फिलोसोफीज हैं।’

उन्होंने कहा कि हमारी टीम हर मुश्किल परिस्थिति में हमारे साथ खड़ी रही। हम भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसे लोगों के साथ काम करने का अवसर मिला। तब तक आपके समय और प्यार के लिए धन्यवाद। लिटल येलो बर्ड सेज फाइनल गुडबाय।

2020 में लॉन्च हुआ था कू

कू के लगभग 2.1 मिलियन डेली एक्टिव यूजर्स और 10 मिलियन मंथली यूजर्स थे। इसके बावजूद कंपनी फंडिंग की कमी का सामना कर रही थी। कू एक लैंगवेज बेस्ड सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इसे 2020 में लॉन्च किया गया था। यूजर्स इस एप से हिंदी, बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़, तमिल, पंजाबी, अंग्रेजी सहित दस से अधिक भाषाओं में अपने विचार साझा कर सकते थे।

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