यूआइडीएआइ ने आयु समूह के आधार पर नामांकन के लिए किया बदलाव। अब 18 साल से अधिक उम्र के किसी व्यक्ति द्वारा आधार के लिए नामांकन कराने पर उसका राष्ट्रीय, राज्य और जिला यानी स्थानीय स्तर पर सत्यापन किया जाएगा। इन तीन स्तरों पर सत्यापन के बाद ही संबंधित व्यक्ति को आधार कार्ड मिल सकेगा।
By Madanmohan malviya
Publish Date: Wed, 03 Jul 2024 02:58:14 PM (IST)
Up to date Date: Wed, 03 Jul 2024 06:38:24 PM (IST)
HighLights
- आधार सेवा केंद्र से पहले व्यक्ति का डाटा बेंगलुरु स्थित यूडीआईएआई सेंटर पर पहुंचेगा।
- वहां से सत्यापन के लिए इसे राजधानी और फिर वहां से संबंधित जिले में भेजा जाएगा।
- यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही संबंधित व्यक्ति को आधार कार्ड जारी किया जाएगा।
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। अब यदि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के व्यक्ति के द्वारा आधार के लिए नामांकन कराया जाता है तो उन्हें कार्ड मिलने में छह माह तक का वक्त लग सकता है। दरअसल भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने आयु समूह के आधार नामांकन के लिए बड़ा बदलाव किया है। इस कारण आधार कार्ड मिलने की अधिकतम समयसीमा अब छह महीने तय कर दी गई है।
पुख्ता सत्यापन
नई प्रक्रिया के तहत आधार नामांकन के बाद इनका राष्ट्रीय, राज्य और जिला यानी स्थानीय स्तर पर सत्यापन किया जाएगा। यानी अब तीन स्तरीय सत्यापन व्यवस्था लागू की गई है। जिस आधार सेवा केंद्र से ऐसे लोग नामांकन कराएंगे, उस केंद्र से पहले इनका डाटा यूआइडीएआइ के डाटा सेंटर बेंगलुरु पहुंचेगा। वहां से सत्यापन के लिए इसे राजधानी भेजा जाएगा। इसके बाद राजधानी से संबंधित जिले में भेजा जाएगा। इन तीन स्तरों पर सत्यापन के बाद ही संबंधित व्यक्ति को आधार कार्ड मिल सकेगा। राज्य स्तर और जिला स्तर पर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
10 वर्ष से पुराने आधार का नवीनीकरण जरूरी
प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक दस वर्ष पहले के आधार कार्ड वाले लोगों के लिए पता और पहचान नवीनीकरण करवाना इसीलिए आवश्यक किया गया है। इसके तहत आनलाइन और आफलाइन दोनों मोड से व्यवस्था की गई है। आनलाइन फ्री नवीनीकरण की डेडलाइन भी तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। पिछले महीने यह डेडलाइन 14 जून से 14 सितंबर तय की गई। आनलाइन नवीनीकरण में पता और पहचान दोनों से जुड़े दस्तावेज अपलोड करना भी अनिवार्य हैं। इसके बिना नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। आफलाइन नवीनीकरण में बायोमेट्रिक डाटा (फिंगर प्रिंट, आइरिश स्कैन या फेस आथेंटिकेशन) भी किया जा रहा है।
इस वजह से किया बदलाव
सुरक्षा संबंधी सभी पहलुओं को देखते हुए नई व्यवस्था की गई है। आधार योजना के पहले चरण में 2010-11 में नामांकरण के बाद जिन लोगों ने आधार बनवाए थे, तब निजी एजेंसियों के पास भी आधार बनाने का जिम्मा था। तब आवेदक द्वारा दी गई मौखिक जानकारी के आधार पर ही नामांकन कर लिए गए थे। इनमें से कुछ आधार फर्जी होना पाया गया था। भोपाल में ही पांच वर्ष पहले फर्जी आधार के लगभग 17 मामले सामने आए थे।