New Legal Legal guidelines: अब से जबरन अप्राकृतिक संबंध नहीं है अपराध, पढ़ें नए कानून में क्या हुए हैं बदलाव

New Legal Legal guidelines: अब से जबरन अप्राकृतिक संबंध नहीं है अपराध, पढ़ें नए कानून में क्या हुए हैं बदलाव

एक जुलाई से देश में आईपीसी सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को खत्म कर दिया गया है। इनकी जगह तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है। 1 जुलाई से देश भर में होने वाले अपराध अब नए कानून में ही दर्ज हो रहे हैं।

By Anurag Mishra

Publish Date: Wed, 03 Jul 2024 12:15:00 AM (IST)

Up to date Date: Wed, 03 Jul 2024 12:15:00 AM (IST)

नया आपराधिक कानून। (जागरण ग्राफिक्स)

डिजिटल डेस्क, इंदौर। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह अबसे तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले लिया है। एक जुलाई से थाने में अपराध नए कानून के तहत ही दर्ज किए जा रहे हैं।

BNS यानी भारतीय न्याय संहिता में ये हुए बदलाव

  • हत्‍या के लिए पहले 302 की धारा में केस दर्ज होता था, लेकिन अब से 103 धारा मृत्यु या उम्रकैद और जुर्माना में लगेगी।
  • लापरवाही से मौत के लिए पहले 304-A लगती थी, लेकिन अब से 106 धारा 5 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों के लिए लगेगी।
  • दहेज हत्या के लिए पहले 304(B) लगती थी, लेकिन अब से 80 धारा सात साल से उम्रकैद तक की सजा और जुर्माना के लिए लगेगी।
  • हत्या का प्रयास के लिए पहले 307 की धारा लगती थी, लेकिन अब से 109 की धारा पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और जुर्माना के लिए लगेगी।
  • आत्महत्या का प्रयास के लिए पहले 309 की धारा लगती थी, लेकिन 226 अब से एक साल की जेल/ जुर्माना/फिर दोनों/सामुदायिक सेवा लगा करेगी।
  • बाल हत्या के लिए 315 लगती थी, लेकिन अब से 91 धारा एक साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों में लगा करेगी।
  • दंगा करना के लिए पहले 147 लगती थी, लेकिन 191 (2) धारा दो साल की जेल या जुर्माना/जेल और जुर्माना दोनों में लगेगी।
  • छेड़छाड़ के लिए 354 लगती थी, लेकिन अब से 74 धारा एक साल से पांच साल की सजा और जुर्माना लगेगी।
  • यौन उत्पीड़न के लिए 354(A) लगती थी, लेकिन अब से 75(2) धारा तीन साल की कठोर जेल/जुर्माना/फिर दोनों के लिए लगा करेगी।
  • पीछा करना के लिए 354(D) लगती थी, लेकिन अब से 75(2) धारा तीन साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों में लगेगी।
  • दुष्‍कर्म के लिए 376 धारा लगती थी, लेकिन 64 धारा 10 साल की कठोर सजा, जिसे उम्रकैद भी किया जा सकता है और जुर्माना लगती थी।
  • रेप व हत्‍या/मृतावस्‍था में पहुंचाना 376 (A) लगती थी, लेकिन अब से 66 धारा 20 साल का कठोर कारावास जिसे उम्रकैद भी किया जा सकता है और जुर्माना के लिए लगती है।
  • सामूहिक दुष्‍कर्म के लिए 376(D) लगती थी, लेकिन अब से 70 (1) धारा 20 साल का कठोर कारावास जिसे उम्रकैद भी किया जा सकता है और जुर्माना के लिए लगती है।
  • चोरी के लिए 379 लगती थी, लेकिन अब से 303(2) एक से पांच साल का कठोर कारावास और जुर्माना के लिए लगती है।
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    • वाहन या घर-पूजा स्थल में चोरी 380 लगती थी, लेकिन अब से 305 धारा सात साल की सजा और जुर्माना के लिए लगती है।
    • रंगदारी के लिए 384 लगती थी, लेकिन अब से 308(2) धारा गैर-जमानती; सात साल की जेल या जुर्माना या दोनों के लिए लगती है।
    • डकैती में हत्या के लिए 396 लगती थी, लेकिन अब से 310(3) धारा 10 साल का कठोर कारावास या उम्रकैद या मृत्युदंड और जुर्माना के लिए लगती है।
    • धोखाधड़ी के लिए 420 लगती थी, लेकिन अब से 318 धारा अधिकतम सात साल तक की सजा और जुर्माना/फिर दोनों के लिए लगती है।
    • गैर-कानूनी सभा के लिए 141-144 लगती थी, लेकिन अब से 187-189 धारा छह माह तक का कारावास या जुर्माना या दोनों के लिए लगती है।
    • मानहानि के लिए 499 लगती थी, लेकिन अब से 356 दो वर्ष तक जेल या जुर्माने या दोनों के लिए लगती है।

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    भारतीय न्याय संहिता में ये नया जुड़ा

    • यौन शोषण के लिए शादी का झांसा देना अब अपराध की श्रेणी में आया।
    • मॉब लिंचिंग के लिए बना कानून।
    • आपराधिक कानून में आतंकवाद को शामिल किया।
    • डकैती, चोरी, कब्जा, तस्करी, साइबर क्राइम और रंगदारी जैसे संगठित अपराध के लिए कानून बनाया
    • सरकारी अधिकारी को ड्यूटी ना कर देना भी अब अपराध है।
    • नाबालिग से गैंगरेप पर अब फांसी का सजा का प्रावधान।
    • पत्नी से जबरन संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आएगा।
    • छोटे अपराधों के लिए कम्यूनिटी सर्विस करनी होगी।

    भारतीय न्याय संहिता से ये हटाया

    • अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए जबरदस्ती गैरकानूनी नहीं मानी जाएगी।
    • एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं माना जाएगा।
    • बच्चों से जुड़े अपराधों में फैली लैंगिक असमानता को खत्म कर दिया है।
    • पुरुषों और ट्रांसजेंडरों के साथ कुकर्म अपराध नहीं माना जाएगा।
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