Korba Information: गड्ढे में पाटा गया राख वर्षा की पानी से बहकर पहुंचा खेतों में

Korba News: गड्ढे में पाटा गया राख वर्षा की पानी से बहकर पहुंचा खेतों में

विद्युत कंपनियों ने राखड़ पानी उत्पादन स्थल सुरक्षित बांध तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछा रखा है। नियमित रखरखाव की भी जिम्मेदारी कंपनी की है। निरीक्षण के अभाव में पाइप लाइन फूटने की घटना आए दिन सामने आती है। सोमवार को ग्राम रिस्दी के निकट पाइपलाइन फूटने खेत राख से भर गया। सूचना दिए जाने के बाद भी 24 घंटे के भीतर सुधार नहीं किया गया।

By Suresh kumar Dewangan

Publish Date: Tue, 02 Jul 2024 11:43:03 PM (IST)

Up to date Date: Tue, 02 Jul 2024 11:43:03 PM (IST)

HighLights

  1. यहां-वहां डंप किए गए राख बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत
  2. भालूसटका में आठ एकड़ खेत की फसल तबाह
  3. किसान की गाढ़ी मेहनत पर फिर गया पानी

नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा: विद्युत उत्पादन करने वाली कंपनियों ने पहले तो राखड़ बांध बनाने के लिए किसानों की उपजाऊ खेतों को अधिग्रहित कर लिया। अब रही सही जमीन पर भी राखड़ की मार देखी जा रही है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण शहर के निकट भालूसटका में देखा जा सकता है। यहां निर्मित कृषि मंडी के जमीन को समतल करने 180 ट्रक राखड़ डाला गया था। राखड़ के ऊपर मिट्टी की पतली लेयर डाल फिलिंग की औपचाकिता कर ली गई थी। इसकी पोल लगातार हुई वर्षा से खुल गई और राख बहकर किसानों की खेतों तक पहुंच गया। करीब एक दर्जन किसानों की आठ एकड़ धान की बोआई कार्य पर पानी फिर गया है।

जिस उत्साह से किसानाें ने खेती की शुरूआत की है वह राखड़ प्रभावित क्षेत्रों में निराशा में तब्दील होती नजर आ रही हैं। ग्राम भालू सटका में भी किसानों ने जून माह से ही खेती की शुरूआत की थी। खेतों को जुताई से लेकर मेंड़ बांधने व बीज बोने का काम पूरा कर लिया था। उन्हे क्या पता था कि उनकी सारी मेहनत पर राखड़ पानी फेर देगा। दरअसल गांव के निकट जिला प्रशासन वर्षों पहले सब्जी मंडी के लिए जमीन चिन्हांकित किया था। शहर से दूर होने की वजह से मंडी की शुरूआत नहीं हुई। अब इसे धान उपार्जन केंद्र बना दिया। धान रखने के लिए जमीन को समतलीकरण करने के लिए राखड़ का सहारा लिया गया। नियमानुसार समतीली करण में जितनी मात्रा राखड़ डाला जाता है उतनी मात्र में मिट्टी डालने का भी प्रविधान है। नियम को ताक में रखते हुए मंडी की जमीन में नाम मात्र की मिट्टी डाली गई थी। जिसका खामियाजा अब सामने आ रहा है। पिछले तीन दिनों से हो रही वर्षा से मंडी की समतल की गई जमीन में पानी भर गया। मिट्टी कम और राखड़ अधिक होने की वजह दबाव बढ़ गया। देखते ही देखते डंप किया गया राखड़ किसानों के खेतों में फैल गया। मिट्टी से अधिक राखड़ की मात्रा होने की वजह से किसानों के खेतों में दो से ढाई फिट तक राखड़ पट गया है। किसानों का कहना है कि अभी तक प्रशासन स्तर पर राहत कार्य शुरू नहीं की गई। अभी केवल आठ एकड़ खेत ही प्रभावित हुआ। राखड़ के बहाव को नहीं रोका गया तो आसपास के अन्य किसानों के खेत तक पहुंचेगा। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले धनरास स्थित राखड़ बांध के टूटने से किसानाें के 50 एकड़ से भी अधिक खेतों में राखड़ फैल गया है। मोटी परत जमने से किसानों का फसल चौपट हो गया है।

राखड़ डैम भर गए, परिवहन के नाम पर यहां-वहां डंप

जिले के बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों आधा दर्जन से भी अधिक जगहों राखड़ बांध का निर्माण कराया है। लगभग सभी राखड़ बांध भर चुके हैं। बांध को खाली करने के लिए कंपनियां को ऐसे जगहों राखडंप करने की अनुमति दी गई जहां जमीन की समतलीकरण जरूर है। लंबी दूरी से बचने के लिए राखड़ परिवहन से जुड़े ठेकेदार अपशिष्ठ को यहां वहां डंप कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणोें की ओर से शिकायत करने के बाद भी न तो जिला प्रशासन की ओर सुध ली जा रही है ना ही पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा कार्रवाई की जा रही है।

जलस्त्रोत भी हो रहे प्रदूषित

ग्रीष्म में सूखा राखड़ वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा था। वर्षा शुरू होने के बाद राखड़ बांध से बहकर आने वाली पानी जलस्त्रोतों को प्रदूषित कर रहा रहा है। ढेंगुरनाला, कचांदीनाला आदि का पानी हसदेव नदी में समाहित हो रही है। राखड़ बांध का प्रदूषित पानी भी नदी में शामिल हो रहा है। नदी के साथ दर्री बांध में लगातार राखड़ का मढ समाहित हो रही है। इससे बांध की जल संग्रहण क्षमता भी कम हो रही है। राखड़ पानी से न केवल ऊपरी जल स्त्रोत बल्कि भूमिगत जल स्त्रोत भी प्रभावित हो रही हे ।

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