सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। प्रत्येक वर्ष सावन माह में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। शिवभक्त भोलेनाथ के जयकारों के साथ कांवड़ यात्रा निकालकर उनका जलाभिषेक करते हैं। मान्यता समुद्र मंथन के बाद रावण ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था, जिसके बाद से कांवड़ यात्रा निकाली जा रही है।
By Bharat Mandhanya
Publish Date: Tue, 02 Jul 2024 11:47:24 AM (IST)
Up to date Date: Tue, 02 Jul 2024 06:34:32 PM (IST)
HighLights
- समुद्र मंथन के दौरान निकला था विष
- भगवान शिव ने किया हलाहल का पान
- रावण ने किया था भोलेनाथ का जलाभिषेक
Kawar Yatra 2024 धर्म डेस्क, इंदौर। पवित्र सावन माह में भगवान शिव के पूजन का विधान है। इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं और भोलेनाथ का विशेष पूजन किया जाता है। इसके साथ श्रद्धालु पवित्र नदियों का जल कांवड़ में भरकर भोलेनाथ को चढ़ाने पहुंचते हैं। इस दौरान कांवड़ यात्रियों का जगह-जगह स्वागत किया जाता है। आपको यहां बताते हैं कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई थी और पहली कांवड़ ले जाना वाला शिवभक्त कौन था।
ऐसे हुई थी कावड़ यात्रा की शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार कावड़ यात्रा का इतिहास समुद्र मंथन के समय से जुड़ा है। देवताओं और असुरों द्वारा मथे गए समुद्र से निकले विष को भगवान शिव ने पिया था। विष के प्रभाव से भगवान भोलेनाथ असहज अवस्था में पहुंच गए थे। विष के कारण भगवान शिव को हो रही पीड़ा को देखते हुए लंकापति रावण ने कांवड़ में गंगा जल भरकर कई वर्षों तक महादेव का जलाभिषेक किया था, जिसके बाद भगवान शिव विष के नकारात्मक प्रभावों से मुक्त हुए थे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस कथा के चलते संसार का पहला कांवड़ यात्री रावण को ही माना जाता है और रावण ने ही सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी।
22 जुलाई से शुरु हो रहा सावन
पंचांग के अनुसार 2 जुलाई से सावन माह की शुरुआत होगी। वहीं, 19 अगस्त सावन की पूर्णिमा के साथ यह माह समाप्त हो जाएगा। ऐसे में इस बार सावन 29 दिन का ही रहेगा।
सावन में इस बार पांच सावन सोमवार के व्रत रखे जाएंगे
पहला सावन सोमवार | 22 जुलाई |
दूसरा सावन सोमवार | 29 जुलाई |
तीसरा सावन सोमवार | 5 अगस्त |
चौथा सावन सोमवार | 12 अगस्त |
पांचवा सावन सोमवार | 19 अगस्त |
डिसक्लेमर
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