भाजपा जुलाई महीने में संगठन स्तर पर चुनाव कर बदलाव करना चाहती है। वह युवाओं के साथ इस बार संगठन में अपने बुजुर्ग नेताओं को भी मौका देना चाहती है। वह युवाओं के जोश और बुजुर्गों के अनुभव का समायोजन कर संगठन को मजबूती देना की कोशिश में है। भाजपा ने 2020 में पीढ़ी परिवर्तन कर युवाओं को संगठन में मौका दिया था।
By Anurag Mishra
Publish Date: Sat, 29 Jun 2024 05:52:32 PM (IST)
Up to date Date: Sat, 29 Jun 2024 05:56:18 PM (IST)
HighLights
- भाजपा ने 2020 में लगभग 35 वर्ष की आयु वालों को चुना था मंडल अध्यक्ष।
- भाजपा प्रदेश में नए नेतृत्व को उभारना चाहती है।
- भाजपा का अभी का नेतृत्व कर चुका 60 की उम्र सीमा को पार।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। भाजपा संगठन में अब चुनाव की हलचल आरंभ हो गई है। संभावना है कि जुलाई महीने में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिवस पर भाजपा अपने संगठन चुनाव की प्रक्रिया आरंभ कर सकती है। प्रक्रिया शुरू होने में भले ही अभी समय हो, लेकिन मंडल स्तर पर इसकी चर्चा और जमावट का खेल अभी से शुरू हो गया है।
पिछले संगठन चुनाव में भाजपा ने पीढ़ी परिवर्तन का संकल्प पूरा किया था। इस कारण लगभग 35 वर्ष की औसत आयु वाले ही मंडल अध्यक्ष बन पाए थे। इनमें से कुछ तो भाजपा के लिए बेहद उपयोगी रहे और कुछ को राजनीतिक अनुभव ना होने से चुनाव में पार्टी को संकट भी झेलना पड़ा।
युवा व अनुभव का समायोजन चाहती है भाजपा
भाजपा अब पांच साल बाद हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए उम्र बंधन के बजाए मिला-जुला प्रयोग करना चाहती है। पार्टी चाहती है कि अब संगठन चुनाव में युवा और बुजुर्ग, लेकिन अनुभवी का समन्वय के साथ समायोजन किया जाए।
2020 में दिया था पीढ़ी परिवर्तन का नारा
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने 1990 के बाद 2020 में पीढ़ी परिवर्तन की शुरूआत की थी। पार्टी ने युवाओं को तो जोड़ लिया, लेकिन पुराने चेहरों को लेकर असमंजस में है। युवाओं को मौका देने के बाद अब पुराने दिग्गजों का समायोजन पार्टी के लिए चुनौती बना हुआ है।
परिवारवाद की उपेक्षा से दिग्गज परेशान
पार्टी का अब तक का अनुभव अच्छा भी रहा और कुछ जगह पुराने नेताओं के सामने नए नेतृत्व को काम करने में व्यावहारिक रूप से मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा। दूसरी परेशानी ये भी है कि युवाओं को कमान देने से परिवारवाद की उपेक्षा से भी कई दिग्गज परेशान हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद से समन्वय की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। आने वाले संगठन चुनाव में उनके समर्थकों को भी जिले की कार्यकारिणी में अवसर देना भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी का कारण बन सकता है। इसे भांपते हुए संगठन हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है।
मौजूदा नेतृत्व कर चुका 60 की सीमा पार
मौजूदा नेतृत्व चाहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल हों, सभी साठ की उम्र पार कर चुके हैं। पूर्व सीएम उमा भारती से लेकर मोहन कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य पार्टी में 30 से 35 साल की उम्र में सक्रिय हुए थे।
पार्टी ने सरकार में मोहन यादव का नया चेहरा तो दे दिया, लेकिन संकट यह है कि युवाओं में नया नेतृत्व प्रदेश में पनप नहीं रहा है। पार्टी ने नए नेतृत्व के लिए संगठन में पीढ़ी परिवर्तन तो कर लिया, लेकिन चुनावी राजनीति में वटवृक्षों के चलते पार्टी नई पीढ़ी को आगे नहीं ला पाई। पार्टी चाहती है कि संगठन चुनाव में उम्र सीमा पर पार्टी शिथिलता तो बरते, लेकिन भविष्य के लिए युवाओं की टीम भी तैयार की जाए। दोनों पीढ़ी के साथ सुतंलन बनाया जाए।