Nana Patekar was shocked by the demise of his son | बेटे की मौत से नाना पाटेकर को लगा था सदमा: बोले-‘मैं एक दिन में 60 सिगरेट पीता था, लोग बदबू के कारण मेरी कार में नहीं बैठते थे’

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3 दिन पहले

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वेटरन एक्टर नाना पाटेकर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ पर बात की है। उन्होंने बताया कि जब उनके बेटे का निधन हो गया था तो उन्हें सिगरेट की लत लग गई थी। नाना ने बताया कि उनके बड़े बेटे की तबीयत तब से ही खराब रहती थी जब से वो पैदा हुआ था। उसका नाम दुर्वासा था और ढाई साल की उम्र में उसका निधन हो गया था।

बेटे की मौत के गम से उबरने में नाना को काफी वक्त लगा था।

बेटे की मौत के गम से उबरने में नाना को काफी वक्त लगा था।

एक दिन में 60 सिगरेट पीते थे नाना

नाना बोले, ‘उसे एक आंख में दिक्कत थी जिसके बारे में हमें पता नहीं था। मुझे जब पता चला तो बेहद बुरा लगा, मुझे लगा कि लोग क्या सोचेंगे कि नाना का बेटा कैसा है। मैंने तब ये नहीं सोचा कि मेरे बेटे पर क्या गुजर रही होगी और उस पर क्या बीत रही होगी। मैं बस ये सोचता था कि लोग मेरे बेटे के बारे में क्या सोचेंगे।’

नाना ने कहा कि उन्हें तगड़ा सदमा लगा जब उनके बेटे का निधन हो गया। नाना बोले, ‘उस वक्त मैं एक दिन में 60 सिगरेट पी जाया करता था, यहां तक कि नहाने के दौरान भी स्मोकिंग करता था लेकिन ये बेहद बुरी बात थी। कोई भी सिगरेट की बदबू की वजह से मेरी कार में बैठ तक नहीं पाता था। मैंने अल्कोहल नहीं पिया लेकिन मैं स्मोकिंग बहुत करता था।’

बहन के कारण छोड़ी स्मोकिंग

नाना ने आगे कहा, ‘सिर्फ अपनी बहन की वजह से मैंने स्मोकिंग छोड़ी थी। दरअसल, उसके भी एक बेटे की मौत हुई थी। एक दिन उसने मुझे स्मोकिंग के बाद खांसते हुए देखा तो वो बोली-‘अब और क्या होते देखना चाहते हो? ये सुनने के बाद मैंने स्मोकिंग छोड़ दी।’

बेटे मल्हार के साथ नाना।

बेटे मल्हार के साथ नाना।

बेटे मल्हार के पिता बने नाना

नाना ने 27 साल की उम्र में नील से शादी कर ली थी जो कि एक बैंक में ऑफिसर थीं। इसके बाद दोनों दो बेटों के पेरेंट्स बने। बड़े बेटे दुर्वासा की मौत के बाद नाना बेटे मल्हार के पिता बने थे।

73 साल के नाना के फिल्मी करियर की बात करें तो उन्होंने परिंदा, प्रहार, तिरंगा, क्रांतिवीर, खामोशी द म्यूजिकल समेत कई फिल्मों में काम किया है।

उन्होंने अब तक तीन नेशनल अवॉर्ड्स अपने नाम किए हैं। 2013 में उन्हें सिनेमा में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

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