अंगारकी चतुर्थी 25 जून, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। अंगारकी शब्द संस्कृत के अंगारक से निकला है, जिसका अर्थ है मंगल ग्रह।
By Jogendra Sen
Publish Date: Tue, 25 Jun 2024 10:18:52 AM (IST)
Up to date Date: Tue, 25 Jun 2024 10:18:52 AM (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। अंगारकी चतुर्थी 25 जून, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। “अंगारकी” शब्द संस्कृत के “अंगारक” से निकला है, जिसका अर्थ है मंगल ग्रह। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मंगल प्रसन्न होते हैं और जीवन में सौभाग्य, समृद्धि प्राप्त होती है और बाधाएं दूर होती हैं।
पौराणिक मान्यता है कि मंगल देव ने भगवान गणेश की कठोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था, जिससे मंगलवार को पड़ने वाली चतुर्थी का नाम अंगारकी चतुर्थी पड़ा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से ऋण मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस शुभ दिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अंगारकी चतुर्थी का व्रत रखने से मंगल दोष भी दूर होता है और एक संतुष्ट एवं शांतिपूर्ण जीवन मिलता है।
अंगारकी चतुर्थी शुभ योग-मुहूर्त 25 जून को मिथुन राशि में सूर्य और बुध एक साथ रहेंगे, जिससे बुधादित्य नाम का शुभ योग बनेगा। इस दिन सुबह-सुबह कुछ देर के लिए सर्वार्थ सिद्धि नाम का शुभ योग भी रहेगा, जिसका प्रभाव पूरे दिन माना जाएगा। इस दिन चंद्रोदय रात 10.14 पर होगा।
अंगारकी चतुर्थी व्रत के नियम
- अंगारकी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक मंगलवार को पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी के दिन किया जाता है। यह व्रत भगवान गणेश और मंगल देव की कृपा पाने के लिए किया जाता है। व्रत के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- पूजा में गणेश जी के साथ माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर अवश्य रखनी चाहिए। गणेश जी को दूध से स्नान कराना, सिंदूर मिश्रित घी चढ़ाना, चांदी का वर्क और जनेऊ अर्पित करना चाहिए चाहिए।गणेश जी को लड्डू का भोग लगाना, फल, पान-सुपारी आदि चढ़ाना चाहिए। गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करके आरती करनी चाहिए।
- दिन में फलाहार का सेवन किया जा सकता है। सेंधा नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। संध्या समय गणेश की पूजा करके अंगारकी चतुर्थी की कथा सुननी या सुनानी चाहिए।
मसूर की दाल व साबूत मूंग का दान करें-
मंगल दोष को दूर करने के लिए अंगारकी चतुर्थी तिथि पर मसूर दाल, साबुत मूंग, शहद, हरे रंग का वस्त्र, हरी सब्जियां आदि चीजों का दान करें।