जानकारी के अनुसार आरएमओ डाॅ. सतीश नेमा ने दीपक नवाले नामक व्यक्ति के नाम पर स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी किया है। दीपक नवाले की लगभग एक साल पहले मृत्यु हो गई थी। अब इस मामले में जांच आरंभ की गई है। इस शिकायत को क्षेत्रीय निदेशक, स्वास्थ्य डाॅ. आरसी पनिका को भेजा गया है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Fri, 21 Jun 2024 10:00:27 AM (IST)
Up to date Date: Fri, 21 Jun 2024 10:00:27 AM (IST)
HighLights
- जिला अस्पताल के रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर ने बनाया था स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र ।
- एक कर्मचारी का ट्रांसफर करने के बाद स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र का मामला सामने आया।
- वरिष्ठ संयुक्त निदेशक डाॅ. पूर्णिमा गडरिया ने अनुसार मामले की जांच की जा रही है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। प्रशासनिक लापरवाही और गलती के एक असाधारण मामले में एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र जारी किया गया जिसकी लगभग एक साल पहले मृत्यु हो गई थी।
हैरानी की बात यह है कि यह मामला तब सामने आया जब अस्पताल के एक कर्मचारी ने डाॅक्टर के खिलाफ तब शिकायत दर्ज कराई जब उसका ट्रांसफर दूसरे अस्पताल में कर दिया गया है।
जिला अस्पताल के कर्मचारी और शिकायतकर्ता गणेश प्रजापत ने मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. बीएस सैत्या को मय दस्तावेज लिखित शिकायत की है।
इसमें बताया गया है कि आरएमओ डाॅ. सतीश नेमा ने दीपक नवाले नामक व्यक्ति के नाम पर स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी किया है, जिसकी लगभग एक साल पहले मृत्यु हो गई थी।
शिकायतकर्ता के पत्र के अनुसार अस्पताल के एक अन्य कर्मचारी राहुल चौधरी द्वारा प्रदान किए गए मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर डाॅ. नेमा द्वारा दीपक नवाले के लिए 4 नवंबर 2023 को प्रमाण पत्र बनाया गया था, जिनकी 18 दिसंबर 2022 को मृत्यु हो चुकी थी।
इस अजीबोगरीब घटना के बाद इंदौर के जिला अस्पताल में गहन जांच शुरू हो गई है। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सीएमएचओ ने शिकायत को क्षेत्रीय निदेशक, स्वास्थ्य डाॅ. आरसी पनिका को भेज दिया था। मामले में वरिष्ठ संयुक्त निदेशक डाॅ. पूर्णिमा गडरिया की देखरेख में जांच शुरू की गई है।
डाॅ. गडरिया ने बताया कि किसी ऐसे व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जारी करना, जिसकी मृत्यु लगभग एक वर्ष पूर्व हो चुकी है, केवल एक लिपिकीय त्रुटि नहीं है, बल्कि एक गंभीर मुद्दा है। यह संभावित धोखाधड़ी गतिविधियों का मामला लग रहा है। जांच शुरू कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता का बयान ले लिया है। अब आरएमओ को भी बुलाया है। पूरे मामले में डाॅ. नेमा ने मीडिया को बताया कि करीब वर्ष भर पहले एक मरीज मेरे पास इस नाम की ओपीडी पर्ची लेकर आया था। उसे स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की जरूरत थी, जिसे जारी किया गया था।