मध्यप्रदेश में माइक्रोबायोालजी लैब ही नहीं है। सिर्फ एक ही सरकारी लैब भोपाल में स्थित है, बाकी प्रशासन निजी लैब के भरोसे ही रहता है। इसके कारण कई मामलों में प्रकरण भीव दर्ज नहीं हो पाते हैं।
By Madanmohan malviya
Publish Date: Solar, 16 Jun 2024 02:29:36 AM (IST)
Up to date Date: Solar, 16 Jun 2024 02:29:36 AM (IST)
HighLights
- भोपाल में सिर्फ एक सरकारी माइक्रोबायोलाजी लैब
- एक हजार नमूने लिए, छह में हुआ प्रकरण दर्ज
- जांच के लिए नमूने दूसरे राज्य या निजी लैब में भेजना होता है
मदनमोहन मालवीय, नईदुनिया, भोपाल : मध्यप्रदेश में जहरीले खाने की पहचान कर पाना खाद्य सुरक्षा प्रशासन के लिए काफी मुश्किल है। दरअसल, यहां माइक्रोबायोालजी लैब ही नहीं है। सिर्फ एक ही सरकारी लैब भोपाल में स्थित है, बाकी प्रशासन निजी लैब के भरोसे ही रहता है। लैब नहीं होने की वजह से वर्ष 2023 में एक हजार नमूने लिए गए थे, जिनमें से सिर्फ छह में ही प्रकरण दर्ज किए जा सके।
नमूने लेने की प्रक्रिया भी कठिन
बता दें कि शहर में जगह-जगह स्टाल पर बिकने वाले कचौरी-समोसे व अन्य खाद्य पदार्थ में पेस्टिसाइड, हानिकारक बैक्टीरिया हैं या नहीं, इसका पता लगा पाना बहुत ही मुश्किल है। इस वजह से यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि मिलावटखोरों पर कार्रवाई सिर्फ जुर्माना तक सिमट कर रह जाती है। पेस्टिसाइड और हानिकारक बैक्टीरिया की जांच के लिए नमूने लेने की प्रक्रिया भी बहुत कठिन है।
नमूने लेने से लेकर उसे लैब तक पहुंचाने के लिए सीलबंद कांच या अन्य मैटल बाक्स की जरूरत होती है। नमूने जिस तापमान में लिया गया है, उसे उसी वातावरण और तापमान में रखना होता है। लैब नहीं होने के कारण प्रदेश को इस तरह की जांच के लिए नमूने दूसरे राज्य या निजी लैब में जांच के लिए भेजना होता है। निजी लैब में जांच नमूने के अनुसार पांच से 10 हजार रुपये में होती है।
यह है प्रविधान
देशभर में एफएसएसएआइ के अंतर्गत खाद्य विभाग कार्रवाई करता है। कुल 14 एक्ट में से 13 में सिर्फ जुर्माने का प्रविधान है। सिर्फ असुरक्षित खाद्य के मामले में आपराधिक प्रकरण होता है। इसके लिए खाद्य पदार्थ में पेस्टिसाइड और हानिकारक बैक्टीरिया की जांच जरूरी है। मप्र में एक ही लैब है, जिसमें सिर्फ कैमिकल जांच होती है। इस कारण खाना कितना हानिकारक या अनहेल्दी है, इसका पता नहीं लगाया जा सकता।
राजधानी में तीन महीने के आंकड़े
- नमूने नमूने की जांच -310
- रिपोर्ट आई – 275
- फेल – 25
- असुरक्षित – 04
- प्रकरण लगाए – 81
- जुर्माना – 8,97,000
- रुपये वसूली – 7,56,000 रुपये
खाद्य पदार्थों की जांच के लिए अभी एक ही लैब भोपाल में स्थित है। इसके अलावा कभी-कभी बाहर भी नमूने जांच के लिए भेजे जाते हैं। जल्द ही नई लैब में नमूनों की जांच शुरू होगी तो काफी हद तक मदद मिलेगी। इन लैब में सभी तरह के खाद्य पदार्थों की जांच कराई जा सकेगी।
देवेंद्र दुबे, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, भोपाल