हमीदिया अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. जयदीप सिंह बताते हैं, अब भारत में भी इन मशीनों की संख्या बढ़ती जा रही है। डा जयदीप ने इस मशीन की मदद से मरीजों के दर्द की जांच और उपचार करने के लिए एक वर्ष की फैलोशिप की है।
By Praveen Malviya
Publish Date: Solar, 09 Jun 2024 05:40:31 PM (IST)
Up to date Date: Solar, 09 Jun 2024 05:40:31 PM (IST)
HighLights
- रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीन देगी मरीजों को पुराने दर्द से राहत
- गांधी मेडिकल कालेज प्रदेश का पहला मेडिकल कालेज बना
- हमीदिया अस्पताल में स्थापित हुईं दो रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीन
मुकेश विश्वकर्मा, भोपाल। प्रदेश के मेडिकल कालेजो में से गांधी मेडिकल कालेज ऐसा पहला कालेज बन गया है जहां रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीनों की मदद से मरीजों को पुराने दर्द का उपचार किया जाएगा। रेडियोफ्रीक्वेंसी न्यूरोटामी नाम से भी पहचाने जाने वाली इन मशीनों को जीएमसी से संबद्ध हमीदिया अस्पताल के निश्तेचतना विभाग में लगाया गया है।
रेडियो तरंगों से उपचार, टलेगी सर्जरी
इन मशीनों की लागत 65 लाख रुपये है। इनके माध्यम से दर्द के लिए तंत्रिका के एक क्षेत्र को गर्म करने के लिए रेडियो तरंगों को सटीक रूप से सुई के माध्यम से भेजा जाता है। इस मशीन को अमेरिका में स्थित मेडिकल साइंस एजेंसी से मंगवाया गया है। हमीदिया अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. जयदीप सिंह बताते हैं, अब भारत में भी इन मशीनों की संख्या बढ़ती जा रही है। डा जयदीप ने इस मशीन की मदद से मरीजों के दर्द की जांच और उपचार करने के लिए एक वर्ष की फैलोशिप की है। उन्होंने बताया कि इस मशीन के माध्यम से घुटना दर्द, कमर दर्द, साइटिका, स्लिप डिस्क आदि तीन महीने से अधिक समय का दर्द ठीक हो जाएगा। साथ ही ऐसे मरीज जिन्हें स्पाइन की सर्जरी और घुटना बदलने की सलाह दी गई है, उन मरीजों का भी बिना आपरेशन व चीरा टांके के उपचार किया जाएगा। इस मशीन की मदद से 500 मरीजों की जांच की जा चुकी है, जिसमें 100 मरीजों का उपचार किया जा चुका है।
ऐसे काम करती है मशीन
यह मशीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई तकनीक की मदद से काम करती है। इसमें एक इंजेक्शन (सुई) जैसा उपकरण होता है, जिसकी मदद से दर्द होने वाली जगह की नस काे जलाया जाता है। इसमें मरीज को दर्द नहीं होता है। विशेष बात यह कि यह सुई उस नस को ही काटती है, जो मरीज को दर्द दे रही है। इसका सबसे बड़ा फायदा स्लिप डिस्क के मरीजों को होगा, जिन्हें चीरा लगाकर बड़ा आपरेशन करने की सलाह दी जाती है बेहद बारीक छेद से डिस्क को निकालने और जलाने का काम किया जा सकता है।
तीन क्लीनिक हुए शुरू
हमीदिया में निश्तेचना विभाग के अध्यक्ष डा.आरपी कौशल के नेतृत्व में इस तकनीक से मरीजों का उपचार शुरू हुआ है। यहां मरीजों के लिए तीन क्लीनिक शुरू किए गए हैं। सोमवार और गुरुवार को मरीजों का उपचार किया जाता है। इस मशीन को चलाने के लिए दिल्ली के तकनीशियन को बुलाया गया है। साथ ही यहां के स्टाफ को मशीन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।